Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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8+पटांम-ज्ञाता धर्मकथा का प्रथम श्रतस्कन्ध 42.2
2 पसिढिल भूसणपडत खुम्मियस चुणियधवलवलयपन्मउत्तरिज सुकुमाल
विकिण्णकेसहत्था मुच्छावसअचये गुरुईपरसुणियतब चंपगलयाणिवत्तमहेव्ध .. इंदलट्ठीवि मुक्कसंधिवंधणा कोटिमतलंसि सव्यंगहिंधसत्ति पडिया ॥ ९७ ॥ तएणं . साधारणिदेवी ससंभमोवत्तियाए तुरियं कंचभिंगारमुहविणिग्गय सीयलजल विमल. • धाराएपरिसिंचमाणा णियावियगायलट्ठी उखेवयत्तालबीटवियणं जणिय चाएणं
संफुसिएणं अंतेउरपरियणेणं आसासिपासमाणी मुत्तावलिसण्णिगास पवडंत अंसुगुणों में शून्य होगई, शोभा रहित होगई, तेजसैंप लक्ष्मी रहित होगई, पाहुदुर्वल होने से भाभूषणों शिथिल हो कर,भूमि पर गिरत धवल केकणका चूर्ण होगया,और ओडनेका वस्त्रभी दूर होगया.सुकुमारकेश मस्तक विखर गये, जो पर से चंपाकी लता काटनेमे भूमि पर गिरे वैसे मूर्छा वश से चेतना रहित हुई, इन्द्रलष्टि जैसे सब शरीर के बंध शिथिल होगये. और धेशतवा. सीयस पृथ्वी पर मिर गइम९७॥धारणी राणी इस तरह. आकुल व्याकुल चित्त से एकाएक नीचे गिरने से तत्काल अंतेपुरके मेमोंने सुवर्ण कलश मे से शीतल जलको निर्मल धारा से छिटकाव कीया पानी के विन्दू सहित ताल वृक्ष के पखसे अथवा चर्मके पंखेसे चामुकरने लमे. और अनेक प्रकार के आवासन देकर बैठाइ. उस समय राणा जैसे लाहुवा हार में से
NROO उत्क्षिप्त (मेघकुमार) का प्रथम अध्ययन 48
भर्थ
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