Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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48+ पहाता धर्मकथा का प्रथम स्कंध 48
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उज्जाणे होत्था, सव्त्रउय पुष्कफल समिद्धे रम्मे नंदजवणप्पाले पासादिए ४ ॥४॥ तरसणं उज्जाणस्स बहुमज्झदेसभाए सुरप्पिएणामं जक्खरस जक्वायणे होत्या, दिब्बे घण्णओ ॥ ५ ॥ तत्वणं बारावतीए जयरीए कण्हे णामं वासुदेवे राया परिवसह, सेणं संस्थ समुद्रविजय पामोक्खाणं दसव्हं दसाराणं, बलदेव पामोक्स्खाणं पंचण्डं महावीराणं, उग्गसेण पामोक्खाणं सोलसण्ड राईसहस्ताणं, पज्जुण्ण पामोक्खाणं असुट्ठाणं कुमार कोडीणं संब- पामोक्खाणं सट्टीणं दुदंत साहसणं, वीरसेण पामोक्स्खाणं एक्कत्रीसाए वीर साहस्सीणं, महासेण
पाभोक्खाणं छप्पण्णाए बलवगा साहस्सीणं, रुप्पिणी पामोक्खाणं बत्तीसाए महिला पुष्प फल की समृद्धि रही हुई थी. और भी बह रम्य व नंदनवन समान आनंदकारी. दर्शनीय, अमिरूप व प्रतिरूप था. ॥४॥ उस उद्यान में सूरप्रिय यक्ष का एक मंदिर था वह बहुत वर्णन योग्य था. ॥५॥ उस (द्वारिका नगरी में कृष्ण वासुदेव राजा राज्य करते थे. वे समुद्र विजय प्रमुख दश दशार, बलदेव प्रमुख (पांच बडे वीर, उग्रसेन प्रमुख सोलह हजार मुकुटबंध - देशाधिपति, प्रद्युम्नकुमार प्रमुख कुमार, शॉभ प्रमुख साठ हजार दुर्देव ( अपराजित कुमार ), वीरसेन प्रमुख
साडे तीन कोट इकार वीर पुरुषों
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488* पेल राजाने का पांचवा अध्ययन 18+
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