Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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सूत्र
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+ षष्टाङ्ग जाताधर्मकथा का प्रथम श्रुतस्प
.. मासा जाब निकुरबभूया पासादीया ४, ॥ १२ ॥ ततेणं ते साली पत्तिया, 'वत्तिया, गम्भिया, पसूया, आगयगंधा, खीराइया, बद्धफला, पिका, परियागया,
सल्लइया, पत्तइया, हरिया, पेरूंडा, जापावि होत्था ॥ ततेनं ते कोडुधिया तेसाली पत्तीए जाव सल्लइया पचए जाणिवा तिक्वेहि. नवपनगएहिं असियएहिं
लुणंति २, त्ता करयल मलिए कति २ ता पुर्णति तत्थण चोक्खाणं सूइयाणं अक्खंडाणं यावन् निकूरजभूत झाली हुई. यह प्रामादिक यावत् प्रतिरूपनी ॥ १२ ॥ अब वह शाही पत्रवाली, वर्तितावाली, गर्भवाली हुई, दाने पकने से मसूना हुई, उस की सुभिगंध फैलने लगी, क्षीर नत्पन्न हुवा, उस में दाने उत्पन्न हुए. पक्य बनकर काठन हुई. दाने पर्याय की मास हुए अर्थात संपूर्ण दाने बन गये. शादि कर वृक्ष लायमान हुई, और जम के पर्व कांड:दिनीले हए. जब कोटाम्पक पुरुर्षोंने.जम शाली कोई पत्रचाली यावत् शल्ल की वृज समान बरी हई जानी तब तीक्ष्ण दातरडे से काटने लगे. फीर उस
हाथ से मशले औकचरा उडाकर सब दाने स्वच्छ किये, शद्ध निर्थल, पिता कटे छेद शब्द करते। stop १ शाखा डाली आदि की जो वर्तुभूत हवि सा वर्तिता दरोदावाली. २ चार पसली की एक सेई, चार सेई का रु एक कुंडा, चार कुंडा का एक पाथा होता है. ..
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राहिणी का साथवा अध्ययन
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