Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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मह जीव बहजगणं हीलिजमाणी खिंभिजमाणी णिदिजमाणी गरहिजमाणी तजि जमाणी पवाहिजमाणी धिकारिजमाणी थुक्कारिजमाणी कत्थइ ढाणंवा निलयंवा अलभमाणी दंडि खंडमलय, खडघडगहत्थगया फुटहडाहडसीसा मत्थिया चडगरेणं अनिजमाणमग्गा गेहंगहेण देहबलियाए वित्तिं कप्पेमाणी विहरति ।। २५ ॥ तेणं तीसे णागसिरीए माहणीए तब्भवति चेव सोलसरोयायंका पाउन्भूया तंजहा- सास, खास, जोणिसूल, जाव कोढ ॥ २६ ॥ ततेणं सा णागसिरी माहणी सोलसहिं
रायायंकहिं अभिभूषासमाणी अट दुहट वसा कालमासे कालं किच्चा छट्ठीए पुढवीए उसे मारने लगे, उसे धिक्कार देने लगे, उम पर थूकने लगे इस तरह होने से उमको किसी स्थान पर आश्रय पीला नहीं और खंडेत वस्त्र के टुकड से शरीर का गुह्य भाग छोपाती हुई, फुटा हुआ मृत्तिका का परावला फूट' हुना पानी पीने का घड. लेकर, शिर में पत्थरोंक पार से रुधिर नीकलेने से विवरे हुव बाल चिपकगये इस से मक्खियों का गणगणाट हाने लगा इस तरह रहकर घर २ में शरीर की - पुष्टि के लिये भीख मांगती हुई वह नागश्री ब्राह्मणी विचरने लगी ॥ २५ ॥ उस नागश्री ब्राह्मणी को
भा में सोलह गेग प्रगट हुए जिन के नाम-श्व स. खास, योनिशूल यावत् कोढ. ॥ २६ ॥ वह भागश्री 1 ब्राह्मगी इन सो ह प्रकार के रोगों से पराभव पइ हुई बहुत दुःखी बनकर काल के अवसर में काल कर
अनुवादक-बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोहक ऋषिजी
प्रकाशक-सजावहादुर लाला मुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसाद जी
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