Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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पांडवाताधर्मकथा का प्रयासस्कन्ध
त्तिकह, घोसणं घोसावेह एयमाणत्तियं पञ्चप्पिणह ॥ ततेणं ते कोडुषिय पुरिसा जाव पञ्चप्पिणति ॥ १५२ ॥ तएणं से पंडूराया दोवताएदेवीए कत्थति भुइंवा जाव अलभमाणे कॉतिदेवि सहाति २ चा एवं वयासी-गच्छणं तमं देवाणुप्पिया ! बारावर्तिणयरिं कण्हवासुदेवस्त. एयमटुं णिवेदेहि, कप्हेणंपर वासुदेवे दोवतीए देवीए मम्गणंगवेसणं करेजा, अन्नहा ननजइ, दोवती देवीए सुइंवा खुइंवा पवीत्तवा उक्लभेजा ॥ १५३ ॥ ततेणं सा कौतिदेवी पंडुएणरन्नाए एवंवुत्ता समाणी जाव.. पांडेसुणेइ २ त्ता, व्हाया कयवलिक मा हत्थिखंधवरमया, हथिणारं माझं. वृ.. कहेंगे उन को पाण्डुः राज विपुल धन संपत्ति देंगे. ऐसी उद्घोषणा करके मुझे मेरी आज्ञा पीछी दो. कौटुम्बक पुरुषोंने वैसा ही किया ॥ १५२ ॥ इस तरह द्रौपदी की श्रुति अथवा प्रवृत्त नहीं मीलने से बांदूराजाने कुं देवीको बुवाइ और कहा कि अमओ देवानुपिय! तुम द्वारिका नगीनाओ और कृष्णधामुदेव को इस बात का निवेदन करो. कृण्ण रामुदेव द्रौपदी की गवेषणा करेंगे. अन्यथा क्वचितही उसकी प्रति यावद प्रवृत्तिमाल सकेगा ॥ १५३ ॥ पाण्दु राजा के ऐमा कहने पर कुंनी देवीने मान किया, लिकर्म किये और हाथीपर बैठकर हस्तिनापुर नगरकी वीचमें होती हुई कुरु देशमें से निकलकर
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4. द्रापसी का मारहवा अध्ययन 40
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