Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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बमाई, महाविदेह वास सिझिहिति वुझिहिति, मुधिहिति, सम्बदुक्खणं मंतकाहिति
एवं खलु जंबुणिक्खेवओ॥ दममो सम्मत्तो ॥१०॥ एवं खलु जंबु! समणणं भगक्या ___महावीरेणं आदिगरेणं तित्थगरेणं सयंसंबद्धेणं परिसत्तमेणं पुरिससीहेणं जाव संपत्तणं
___ धम्मकहा सुयक्खधो सम्मत्तो दसहिं वग्गेहिं नायधम्मकेहाओ सम्मत्ताओ ॥ (:) 'बूम्न ! यो दशवा वर्ग कहा. वह दशवा वर्ग सपूर्ण हुआ ॥ १० ॥ अहो जम्मू ! धर्म की आदि करो
वाले, तीर्थ के करनेवाले, स्वयं संबुद्ध, पुरुषोत्तम, पुरुष में सिंह समान यावत् मोक्ष को प्राप्त हुए ऐसे श्री श्रयण भगवंत महावीर स्वामीने ज्ञाता धर्म कथा का दूसरा श्रुतध कहा. इन दश वर्ग से ज्ञाता धर्म कथा का सूत्र संपूर्ण ॥१०॥ . . .
4- अनुवादक बालबचारी मुनि श्री अमोलक ऋषीजो
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प्रकाशक-राजावहादुरळाळा मुखदवसायी चाला प्रसादजी,
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॥ इति षष्ठमांग ॥ ॥ ज्ञाताधर्म कथाङ्ग सूत्र समाप्तम् ॥
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वीर संवत २४४५ वैशाख शुक्ल चतुर्दशी वार मंगलं
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