Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari

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Page 798
________________ 2. 14 विमाणे सभाए सुहम्माए पउमंसि सीहासणांस एवं जहा कालीए, एवं. अट्रवि ETF अज्झयणा कालिगमए णायब्वा, गवरं सावत्थींए दोजणीओ, हरियणापुरे, दोजणीओ कंपिल्लपुरे दोजणीओ, सागेए णयरे, दोजणीओ, पउमपियरो विजयमायरो, सवओपि पासस्स अंतिए पन्नतियाओ, सक्करस अग्गमहिसी, ट्ठिई सत्तालिओवमाई, महाविदेहवासे अंतं काहिति ॥ णवमो क्गो सम्मसो ॥९॥८॥ अनुवादक-पालनमचारी मुनि श्री मोडक ऋषिजी rimanmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmm दसम उक्खेवओ, एवं खलु जंबु ! जाव अट्ठ अज्झयणा पन्नता, तंजहा–कण्हाय, कण्हराईय, रामा तह रामरक्खिया, वसुया, वसुगुत्ता, वसुमित्ता, वसुंधराचेव ईसाणो॥ E नगरी बम हस्तिनापुर, में दो कपिलपुर नगरी में, दो साकेत नगर में हुई. पच पिता और विजया मात जानना. सब श्री पार्श्वनाथ आरत की पास दीक्षित हुई. शक्र देवेन्द्र की अग्रमाहिषियों हुई। पल्योपम की स्थिति जामना. और महा विदेह क्षेत्र में सीझेगी बुझगी यावत् सब दुःखों का अंत करेगी. यह नववा वर्ग संपूर्ण हुवा ॥९॥ अब दशवा वर्ग कहते हैं: अहो जम् ! इस के आठ अध्ययन कहे हैं. जिन के नाम- कृष्ण, २ कृष्णरामी, ३ रामा, ४ रामरक्षिता, ५ बमु, ६ बसुगुप्ता, ७ वसुमित्रा, और ८ बमुंधरा. इन में से है। .प्रकाधक-राजाबहादुर साध्य सुखदेक्सहायनीज्वालाप्रसादनी. For Personal & Private Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org

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