Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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दोवतीदेवी णणजति केणइ देवेणवा दाणवेणवा किंपुरिसेणवा, किन्नरेणवा महारगणेचा गंधवणवा हियावा णियावा उक्खित्तावा, तं इच्छामिणं लाआ ! दतीर देवीते सव्वतो समंता मग्गणं गवेसणंकरित्तए ॥ १५१॥ तंतणं से पंडुगया कोडुबिय पुरिसे सहावेइ २ त्ता एवं वयासी- गच्छहणं तम्भ दवाणु पया ! हात्थ पुरेणयरे सिंघाडग तियचउक्कचच्चर महापहेसु महया २ मण उग्यासमामा २ एवं श्यह-एवं खलु देवाणुप्पिया हिंडिल्लस्मरणो अगासतलगामि सुहप्पसुतस्म पहातो दोवतीदवीणणजति केणइ देवेणवा दाणवेणा किंपुरिसणवा किन्नरणया महारग गवा गधब्वेणवा हियावाणियावा उक्खित्तावा तं जोणं देवाणुप्पिया ! दं वतीए दवाए मुर्तिवा जाव पवत्तिवा परिकहेति तस्तणं पराया विउल असंपयाण दलयइ में भेरी पास में द्रौपदी देवी का कोइ देव, दानव, पुरुप, किन्नर, मोरंग अथना गंर्धा हरण कर गया. इस से उनकी गषणा करनी चाहिये. ॥ ११ ॥ पाण्डु राजाने कौटुंबिक पुरुषों के वल 4 और कहा किमयो देवाननिय ! तुम हस्तिनापुर नगर के श्रृंगाटा, त्रिक, चतुष्क, चच्चर व महापथ में बडे २ ब्द
से उद्धपणा करो कि युधिष्टिर राजा की पास चांदनी में से द्रोपदी देवी को कोई देव, दानव, किन्नर, 17पुरुष महोरग, अथवा गांर्य हरण करगया है, लंगया है. इस से जो कोई द्रौपदी देवी की भूति अथवा
4. धनबादक बालब्रह्मचारी पनि श्री अमोलक ऋषिजी+
पकायक-गाजत्यहादरलाला सदवसायीकालाप्रसादजी.
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