Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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पङ्ग ज्ञाताधर्मदा का प्रथम शुकन्ध 44P
त्तिक, जेणेव धण्णरस सस्थवाहस्स गिहं तेणेव उवागच्छइ ३ त्ता धण्णस्स गिहं विहाडति, ॥ २४ ॥ ततेणं से धणे चिलाएणं चार सेणावतिणा पंच है चोर सएहिं सद्धिं गिहंघातिजमाणं पासति २ ता भीतेतत्थे ४ पंचहिं पुत्तेहिं सईि एगंत अवक्कमति ॥ २५ ॥ ततेणं से चिलाए चार सेणावई धण्णस्त सत्यवाहस्त गिहं घाएति. २ चा सुबहु धणकणग जाव मावएजं सुसमंच दारियं गेहति २ ता रायगिहातो पडिनिक्खमति २ 'ता
जेणेव सिंह गुहा तेणेव पहारेत्थ गमणाए ॥ २५ ॥ ततेणं से धणेसत्यवाहे का घर लूटने का अभिलाषी है. इस मे जिमने नवी माता का दुध पीने की इच्छा हो वह अपने घर मे वारिंह निहला. यों कहते हुवे धन्ना सार्थवाह के घर आये और उन के द्वार खोले ॥ २४ ॥ पांचसोई चोरों की साथ चिटात चोरको अपना घर में आना हुवा देखकर धन्ना सार्थवाह भयभीत हुवा और अपने व पुत्रों को लेकर एकांत में जाकर बैठा ॥ २५ ॥ चिलात चोर सेनापतिने घना सार्यवाह का घर लू, वहां से बहुत धन, कनक यावत् द्रव्य प सुषुमा कन्या लेकर राजगृह नगर में से निकलकर सिंहगुफ नामक चेर पल्लो में बान के निकला ॥ २५ ॥ तब पछा सार्थवाह भने स्थान प.छा अामा
सुपुपा दारिका का अठारहमा अध्ययन •88+
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