Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
View full book text
________________
सूत्र
अर्थ
षष्टांङ्गज्ञताधर्मकथा का प्रथम श्रुतस्कंध
सद्धिं अलचम्मं दुरुहति पुव्वावरण्ह कालसमयंसि पंचहिं चोरसएहिं सद्धिं सण्णद्ध जाब गहिया उह पहरणे माइयामोमुहीएहिं फलएहिं निक्कट्ठाहिं असिल हिं आसंगएहिं तो हिं सज्जीवेहिं घणूर्हि समुक्खित्तेहिं सरेहिं समुल्लालियाहिं दाहाहिं ओसारयाहि ऊरुघंटाहिं छिप्पचूरहि वज्जमाणेहिं महया महया उकिट्ट सहिणाद जाव समुद्दरवपूयं करेमाणा सीहगुहातो चोरपल्लीओ पडिणिक्खमति २ ता जेणेव रायगिहे जयरे तेणेत्र उत्रागच्छइ २ ता रायगिहस्सा यरस्स
{ अब वह चिलात चोर उन पनि सो चोरों की साथ आई चर्मपर मंगल कार्य निमित्ति बैठा और दिन के पीछे के भाग में पांच सो चोरों की साथ वख्तर पहिनकर यावत् शस्त्रों धारन कर सावध करने का सिंघ के बाल वाला गोमुखी वादित्र फूंकता हुआ, दोरियों के बंध से शरीर को ढकता हुवा, खङ्गादि शत्र धारन किये. तारोंका माथा, व प्रत्यंचा खीचकर धनुष्य ग्रहण किया. भाला बरछी आदि शस्त्रों उछालने लगे, जंघा को लटकती हुइ धरियों बंधी शिघ्रवादित्र बजाते हुवे, सिंहनाद जैसे महा शब्द करते हुवे समुद्र के गुंजारव जैसे गर्जना करते हुवे सिंहगुफा नामक चोरपल्ली से बाहिर निकलकर सजगृह नगरी की पास महा गहन गुहा वनखंड में आये. वहां शेष रहा हुवा दिन व्यतीत करते हुवे सब चोरों रहने लगे.
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
4- सुषुमा दारिका का अठारहवा अध्ययन 428
www.jainelibrary.org