Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari

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Page 791
________________ - वाणारसाए, काममहावणे चेहए, ॥ तइय वागरस मिक्लेवो ॥ ३॥ . . 488 पटानानाधर्मकथा का द्वितीय श्रुतस्कन्ध घउत्थस्स वग्गस्स उक्खेवओ, एवं खलु जंबू ! समणणं भगवया महावीरेणं जाव सपत्तेणं ७८३ धम्म कहाणं चउत्थवग्गस्स चउप्पणं भज्झयणा पण्णता, तंजहा-पढमे अझयणे जाव चउप्पण्णइमे पढमस्स मज्झयणस्स उक्खेवओ-एवं खलु जंबु ! बेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे पयरे, सामी समोसरणं, परिसा, जाव पज्जुवासति ॥ तेणं कालणं तेणं समएणं रुयादेवी, भूवाणंदारायहाणी रुयगवडिसए भवगे, रुयंसि E५४ अध्ययन होते हैं. समानारसी नगरी में हुई और काम महावन में दीक्षित हुई थी. यह तीसरा वर्ग समाप्त दुवा ॥१॥ अब चौवा निक्षेपा कहते हैं: बो जम्बू! श्री श्रमण भगवंत महावीर स्वामीने. धर्मकथा के बाव वर्ग के ५४ अध्ययन को . तद्यथा-प्रथम अध्ययन गर चौपनमा अध्ययन. इनमें से पहिला अध्ययन का कथन करते हैं. इस काल उस समय में राजगृह नगर में भगवान महावीर स्वामी पधारे । बंपरिषदा पर्यपासना करने लगी. उस काल उस समय में रुचा देवी, मृतानंदाराज्यधानी में रुचाकी वंसक विमान के रुच सिंहासन पर बैठी हुई यावत् सब अधिकार काली जैसे जानना. विशेष में पूर्व ! madimanwwwwwwwwwwwwwwmanawa चौथा वर्ग 4481 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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