Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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अर्थ
48+ पट्टांङ्ग ज्ञाताधर्मकथाका प्रथम श्रुतस्कंध
• जेणेत्र कौतीदेवी तेणेव उपागच्छ २ ता हस्थिधाओं पचोरुहति २त्ता कौतीए देवीए पाहणं करोति २ चा कोलीए देवीए सार्द्ध इत्थिखंधं दुरुहति २ ता ब.रावतीए जयरी मज्झ मझेण जेणेत्र मएगिहे तेणेत्र उवागच्छइ २सा सयंहिं अणुपत्रिसति ॥ १५६ ॥ ततेणं से कण्हेवामुदेवे कौतिदर्वि पहायं कयबलिकम्म जिमिय भुतत्तरागयं जात्र हासणवरगयं एवं वयासी- सदिसउणं पिउत्था किमागमणं पयोयणं ? तणं सातवीकडं वासुदेव एवं वयांसी एवं खलु पुत्ता ! हत्थगाउरनयरे हिलिस रण आगासतलगंसि सुहपमुत्तरस दावतीदेवी पासाओ जति केइ अवहियावा जाव उक्लिन्तावा, तं इच्छामिणं पुत्ता ! दोवती देवील
कुंती देवी के पत्र में पडे
बीच में होते हुने कुंती देवी की पास आये. वहां हाथी पर से मीचे उतर कर और कुंती देवी की साथ हाथी पर बैठकर द्वारिका मगरी में होते हुये अपने गृह
गये || १५६ ॥ कुंती देवीने
स्नान किया, बलिकर्म किया जीमकर सूचित हुने यावत् सुख पूर्वक आसन पर बैठे पीछे कुंती देवी को कृष्ण वासुदेवने पूछा कि आप का आनेका क्या प्रयोजन है । मब कुंती देवीने उत्तर दिया कि अहो पुत्र ! हस्तिनापुर में अपने मासाद की चांदनी में सुख से सोने हुवे युधिष्टिर की पास दिन दानव पावत् गंध द्रौपदी का हरण कर गया है. इस से अहो पुत्र ! द्रौपदी की
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से न मालुम कोई गवेषणा करवाना
458+ द्रौपदी का सोलहवा अध्ययन 446+
દૂર
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