Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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* पांङ्ग ज्ञाताधर्मकथा का प्रथम श्रुतस्कन्ध 419+
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देवाविया ! गंगमहामदि उत्तरह, जाव ताघ अहं सुट्टियं लवणाविति पासामि ॥ ततेणं ते पंच पंडवा कण्हेणं बासुदेवेणं एवं बुत्तासमाणा जेणेव गंगामहाणईए तेणेव उबागच्छइ २ त्ता एगट्टियाएं नावाए मग्गणगबेसणं करेनि २ ता एगट्टियाए नावाए गंगमहानदि उत्तरेति २ ता अण्णमाण्णं एवं क्यासी- पहूणं देवाणुपिया ! देवदेवे गंग महादि बाहि उत्तरं रितए उदाहु उत्तरिए तिकडु, गट्टियाओ णावाओ मेति २
पोभू
दे
' पडिवालेमाणा चिट्ठति ॥ १८८ ॥ तणं से कहवासुदेवे सुट्टियं लवणाविति पासति पासित्ता जेणेव गंगामहानदी तेणेव उबागच्छइ उवागच्छत्ता एगट्टियाए नावाए
गंगा महा नदी तीर जाओ जितने में मैं लवणाधिपति सुस्थित देव को मीलकर आता हूं. कृष्ण बासुदेव के ऐसा कहने पर पांच पांडवों गंगा महानदी की पास गये और एक छोटी नावा की गवेषणा की. उस नावा से गंगा पहा नदी तीर गये. वहां वे परस्पर कहने लगे कि कृष्ण वासुदेव गंगा महा नदी को भुजा से तीरने में समर्थ है या नहीं ? यों कह उस नावा को एकांत में गुप्त रखकर कृष्ण वासुदेव की मार्ग प्रतीक्षा करते हुवे रहने लगे ।। १८८ || अब कृष्ण वासुदेव सुस्थित नामक लबणाधिपति देव को मिलकर गंगा नदी की पास आये और वहां चारों तरफ छोटी नात्रा की गवेषणा की. परंतु किसी स्थान नावा
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488* द्रौपदी का सोलहवा अध्ययन 44
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