Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
View full book text
________________
48
पटानशाताधर्मकथा का प्रथम श्रुतस्कब
आणा उवाय वंयणणिदेसे चिट्ठिस्सामि ॥ १४८ ॥ ततेणं से पउमणांभे दोवतीए देवीए एयमटुं पडिसुणेति २ ता दोवति देविं कण्णतेउरे ठवेति ॥ १४९ ॥
ततेणं सा दावतीदेवी कुटुंछट्टेणं अणिक्खित्तेणं आयंबिल परिग्गहिएणं तवोकम्मणं . अप्पाणं भावेमाणी विहरति ॥. १५० ॥ ततेणं से . जुहिडिल्ले राया तओ मुहुत्तेतरस्त पडिबुद्धसमाणे दोवर्तिदेविं पासे अपासमाणे सयणिज्जाओ उट्टेइ २ त्ता दोवतीए देवीए सब्बाओ समंता मग्गण गवेसणं करेइ २ त्ता दोवतीदेवीए कत्थइ सुइंवा खुइंवा पवत्तिवा अलभमाणे जेणेव पंडुराया तेणेव उवागच्छइ २ ता
पंडुरायं एवं वयासी-एवं खलु ताओ ! ममं आगासतगलगसि सुहपसुत्तस्स पासातो Eराजाने द्रौपदी देवी का यह वचन मान्य किया. और उसे कन्याओं के अंतःपुर में रखदी ॥ १४९ ॥
तब द्रौपदी देवी छठ २ का निरंतर वप र पारणे में आयंबिल करती हुई विचरने लगी ॥ १५० ॥ इधर युधिष्टिर राजा थोडी देर पीछे नागन हुवे. वहां शयन में द्रौपदी देवी को नहीं देखने से अपने शयन में से उठा और उस की चारो तरफ गवेषणा की. गवेषणा करते हुचे किसी स्थान द्रौपदी की शूचि धबा प्रवृति नहीं मीठने से पाण्दु राजा की पास गये और उन को कहा अहो तात! न मालुम चांदनी
द्रौपदी का सोलहवा अध्ययन 48
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.anelibrary.org