Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
View full book text
________________
4- अनुवादक बालबमचारी मुनि श्री अमोलक ऋषीजी
दसय दसारहिं जाव अणंगसेण पामोक्खे हि अणेग हिं: गणिया साहसीहि सदि सपरिबुडे सविडिए जाव रवेणं बारवति गंधार मज्झमज्झणं जिग्गच्छति णिगच्छिता सुर?जणवयरस मज्झं मझेणं जेणेव देसप्पते तेणेव उवागच्छइ. २ ता पंचाल जण वयस्स मज्झं मन्झेणं कपिल्लपुरणयर तेगेव पहारेत्थगमणाएः ॥ ९८॥ तेण से दुवएराया दापि दूयं सहावेति २ त्ता एवं क्यासी- गच्छहणं तुमं देवाणुपिया ! हत्थिणापुरं गयरं तत्थणं तुमं पंडुरायं सपुत्तयं जुहिट्ठिलं भीमसेणं अज्जुणं न उलं
सहदेवं दुजोहणं भायसयममगं, गंगेयं विदुरं दोणं जयदहं सउणं कीवं असत्थाम सहस्र गाणिकाओं के परिवारमे परिवरे हुवे सब ऋद्धि मत्कार व समुदय यावत् बडे२ वादित्रादिके शब्दसे द्वारिका नगरी की बीचबं से सौराष्ट्र देशमें नीकलकर सौराष्ट्र देशकी बीच में होते हुवे सौराष्ट्र देशके अंतमें
आय. वहां से पांचाल देश में होकर कंपिकपुर नगर को जाने को तैयार हुए. ॥ ९८ ॥ द्रुपद रामाने * दूसरा दूस बोलाया और कहा कि अहो देवानुप्रिय : तुम हस्तनापुर नगर में जाओं. वहां पुत्र सहित
पण्ड राजा. युधिष्ठिर, भीमसेन, अर्जुन, नकुल, सहदेव, दुर्योधन, और उन के मो भाइ, गांगेय । कुमार, विदुर, द्रोण, जयद्रथ, शकुन, क्लिा अश्वस्थामा वगैरह को हाथ जोडकर जय विजय शब्द से 23 वधाना और कहना की पांचाल देश के कंपिल पुर नगर में द्रुपद राजा की पुत्री द्रौपदो का स्वयंवर
काशक-राजाबहादुर लालामुखदेवसहायजी ज्वाला प्रमादजी.
1
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org