Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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ततेणं ते कौटुंबिय पुरिसा तहेव जाव पञ्चप्पिणंति ॥ १८८ ॥ ततेणं से दुवएराया कौटुंबिय पुरिसे सहावेति २ ता एवं क्यासी-गच्छहणं तुम्भे देवाणुप्पिया! सयंवर मंडवं आसियं समजिए उवलितं सुगंधवरगंधियं पंचवण्ण पुप्फोश्यार कलियं कालागुरु पवर कुंदुरुक्क तुरुक्क जाव गंधवट्टीभूयं मंचाइमंच कलियं करेह मंचाइ मंचकालयं करेइत्ता वासुदेव पामोक्खाणं बहुण रायसहस्साणं पत्तेयं २ नामं कियाइं आसणाई सेयवत्थ पच्चयाइं रएह २ ता-एयमाणत्तियं पञ्चप्पिणह; आव पञ्चप्पि
गंति ॥ १०९ ॥ तसेणं से वायुदेव पामोक्खा वहवेरायसहस्सा कल्लंपाउप्पभायए
आज्ञा पीछी दी. ॥ ५.०८ ॥ द्रुपद राजाने दूसरे कौटुमक पुरुषों को बोलाये और ऐमा कहा अहो, अर्थ
देवानुप्रिय ! तुम स्वयंवर मंड में चार स्वच्छ करा, पानी का छिटकाव करादो, फोर उमे धूप से आदि मे स्वच्छ कारावो अच्छी मुगधि गटिकाओं स्थापन करो पांचों वर्ण वाले मुगंधि पुष्यों का ढग करो। कृष्ण गुरु, कुंदरक आदि धूप का उक्षेप कर मंडप मघपच यमान बनायो, चारों दिशा में पांच वधानी E और वहां वासूदेव प्रमुख पत्र राजाओं के बैठने के आमन पर सब का अलग २ नाप अद्धिाकरो. इतना
करके मुझे मेरी आज्ञा पीछी दो. कौटुम्बक पुरुषोंने भी वैमा ही करके उन को उन की आज्ञा पीछी 16दा. ॥ १०९॥ बी अवमुदेव प्रमुख सब राजाभोंने प्रभात होते स्नान किया यावत् सत्र अलंकार से है।
अनुवादक-बालब्रह्मचारीमुनि श्रा अमोलक ऋषिनी
• प्रकाबिहादुर लाला सुखदेवमहायजीज्वालाप्रमादजी.
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