Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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मूत्र
418* पष्ठां ज्ञाताधर्मकथा का प्रथम शुरु
वेति ॥ १२२ ॥ ततेणं से पंडुएराया पंचहिं पंडबेहिं दोवईए देवीए सद्धिं हय गय संडे कंपराओ पडिनिक्खमइ २ ना जेगन हत्यिणाउरे तेणेत्र उत्रागए ॥ १२३ ॥ ततणं से पंडुराया तेर्सि वासुदेव पामोक्स्खाणं आगमणं जाणता कोटुंबिय पुरिसे सहावेइ २त्ता एवं वयासी गच्छद्दणं तुन्भे देवाणुपिया ! इत्थिणा उररस जयरस्त बहिया वासुदेवपामोक्स्खाणं बहुणं रायसहरसाणं आवामे करेह अग स्वभसय तहेव जात्र पञ्चपिति ॥ १२४ ॥ ततेनं ते वासुदेव पामोक्खा बहवे रायसहस्सा जेणेव इत्थिणापुरे तेणेव उवागच्छति ॥ १२५ ॥ तवेणं से पंडुराया
{स्वीकार किया और वैसे ही प्रामादावतंसक करवा लिये || १२२ || अब पांडु राजा पांच पांडवों व द्रोपदी को साथ लेकर हब गज मे परवरे हुवे कंपिलपुर नगर मे नीकल कर डस्नीनापुर नगर में गये. ||| १२३ || पांडु राजाने वासुदेव प्रमुख राजाओं का आवागमन जान कर कौटुंबिक पुरुषों को बोलाय और कहा अहां देवानुप्रिय ! तुप हस्तिनापुर नगर की बाहिर वासुदेव प्रमुख राजाओं के अनेक हजार आवासों तैयार करो उन में अनेक स्तंभ बगैरह सब तैयार करके मुझे मेरी आझा पीछी दो. यावत् उनने बैसा किया. ॥ १२४ ॥ वसुदेव प्रमुख सब राजाओं हस्तिनापुर नगर में आये ॥ १२५ ॥
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448*> द्रौपदी का सोलहवा अध्ययन 411+
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