Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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सूत्र
ચ
अनुवादक- बालब्रह्मचारी मुनि श्री योजक ऋषिजी
तेणं कालेणं तेणं समएणं हत्थिगाउरे लयरे जुहिट्ठिल्लेराया दोवती देवीए सि उपि आगरसतलसि सुहपत्तेयावि हत्या ॥ १४४ ॥ ततेणं से
संगतिए
देवे जंग
या जेणेव दावती तेणेव उवागच्छइ २ ना दोनतीए देवीएं सारणियं दल २ ता देवदित्रिं गिण्हइ २ चा तए उक्किट्ठाए जात्र जगेव अमरकंका जेणेव पासवणे तेणेव उवागच्छइ २ त्ता पउमणा बनिया देवतिदेविं ठावे उसेोवणि अवहरति २० जेणेत्र पण भे तेणेत्र एवागच्छछ २ त्ता एवं क्यासी-एसणं देणुपिया ! मए इत्थिना उओ दीवतीदेवी इहं हन्यमाणीया, तव असोगवणियाए चिट्ठति, अतो परं तुमं युवराज: द्रौपदी की साथ अपने मासार की चांदनी में सुख से सोते हुवे थे ॥ १४४ ॥ अब वह बुष्टि दी की पार आया. ईपी को अस्थापिनी निद्र देवर उससे उठा और ( उसे लेकर उत्कृष्ट दीव्य देवगने से अमरका राजधानी में पद्मनाभ के भवन में आया और उस के पछे के भाग में अशोक वाटिका में रखी. वहां से पद्मनाभ राजा की पास आकर ऐसा कहा. अ देवानप्रिय ! मैं हस्तिनापुर से द्रौपदी देवी को यहां लाया हूं और वह तेरी अशोक वाटिका में है. अब
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● प्रकाशक- राजाबहादुर लाला सुखदेवसदापजीआाल नादी
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