Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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षष्टांङ्गताधर्मकथा का प्रथम श्रुतस्कंध He+
ततेणं सा चुलणीदेवी णवण्हंमासाणं जाव सुकुमालापाणिपायं अहिण पडिपुण्ण पंचिंदिए सरीरं दारियं पयाया॥९०॥तएणं तीसे दारियाति णिवत्तं बारसाहियाए दिवस इम एयारूवं णामं जम्हाणं एसादारिया दुपयसरन्नो धुया चुलणीए अत्तया तं होऊणं अम्हंइमीसेदारियाए णामधेजं दोवतीततेणं तीसे अम्मापियरो इमं एयारूवं गोण्णं गुणनिप्फण्णं णामधेजं करेति दोवइ ॥९०॥ ततेणं सा दोवती दारिया पचधाइ परिग्गहिया जाव गिरि कंदर मल्लीणाइव चंगलया निवाय निव्वाघायंसि सुहं मुहेणं परिवति ॥ ९१ ॥ ततेणं सा
दोवतीरायवरकन्ना उमुक्कबालभावा जाव उक्किठ सरीरा जायायावि होत्था ॥ ततेणं सा पास में पुषी का प्रसव हुना. ॥ २० ॥ जब उम पुत्री के बारह दिन हुवे तब इस का ऐसा नाम की र स्थापना की कि यह लडकी द्रौपद राजाकी पुत्री व चुलणी राणी की आलना है इस से इस पुत्री का नाम
द्रौपदी होवे. इस तरह उनके मात पिताने इम का गुण निष्पमे नाम की स्थापना की.॥१०॥ अब वह द्रौपदी
कुमारिका को पांव धाइ यो प्रति पालना करने लगी. गावत् वह जैसे गिरिकंदर पर रही हुई चंपक लता * वृद्धि पाती है वैसे ही यह द्रौपदी मुख पूर्वक बढने लगी. ॥११॥ अब यह द्रौपदी राज कन्या बाल भाव ' 'से मुक्त होकर यावत् उत्कृष्ट शरीर केरूप यौवन लावण्यता वाली हुई. एकदा वह द्रौपदी कन्या स्नान कर
++ द्रौपदी का सोलहवा अध्ययन 488
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