Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
View full book text
________________
4
IPS ர சர்ரறு டநற
जमा ससगं चेव जाव निच्छुढा, तं सेयं खलु देवाणु प्पिया ! अम्हं कुंभगस्स जुत्तंगेण्हत्तिए. तिकटु, अन्नमन्नस्स एयमटुं पडिसुणेति २ त्ता ॥ ११२ ॥ तएणं से जित्तसत्तु पामोक्खा व्हाया साहबद्दा हत्थिखंध वरगया सकोरंटमल्लदामेणं. जाव सेयवर चामराहिं महया हयगयरहवर जोहकलियाए चाउरंगिणीएसेणाए सद्धिं संपरिवुड। सविड्डीए जाच रवेणं सएहिं २ नारे हिंतो जाव निग्गंच्छंति २त्ता एगयओ मिलयाति २ ता जेणेव महिला णयरी तेणेव पहारेत्थ गमगाए ॥ ११३ ॥ तसेणं कुंभराया इमीसे कहाए लढे सामणे बलवाउयं सदावेइ २ त्ता एवं ही दूनों साथ मिलकर मिथिला गये थे यावत् छोटे द्वार से निकाल दिये. इसमे कुंभ राजा की साथ युद्ध करना चाहिये. मब ने यह बात स्वीकार की. ॥११२॥ जिनशत्रु प्रमुख सब रानाबोंने स्नान किया। कवच शस्त्र धारन फिये, और हाथी पर बैठकर कोरंट वृक्ष की माला वाला छत्र धारन करते यात च पर महिन बह २ घ डे गज, रथ, व सार करने वाले श्रय योधाओं की चतुरंगीनी से? सहित यावत् विड २ वार्दिक शब्दसे अपने २ नगरसे यावत् नीकले और मब एकत्रित मीलकर मिथिला नगरी जानेको रवाना हुए ॥११३॥ कुंमरान को इस बात की पालू होने से सेनापति को बोलाया और कहा कि अहो
श्री मल्लीनाथनी का आठमा अध्ययन 498
ANNEL
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org