Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
View full book text
________________
न
सूत्र
ज्ञातावकथा का प्रथम श्रुतराव
तेणेव उवागच्छइ २ ता तेयला पुत्तं अमच्चं एंयम निवेदेति॥८॥ततेणं कलाएमसिए अन्नयाकयाइ सोहणनिहिकरणणखत्तमुहुत्तसि पाहिलं दारियं ण्ह यं सव्वालकार विभूसियं सीयं दुरुहइ २त्ता मित्तणाति सद्धिं सपरिवड साता गिहातो पडिणिवखमति २त्ता सब्बड्डीए जाव रवेणं तेयलिपुरं मज्झमज्झण जेणेव तेयलिस्स गिहे तेणव उवागच्छइ २त्ता पाटिल दारियं तेयालिपुत्तस्स सयमेव भारियत्ताए दलयति ॥ ९ ॥ ततेणं तेयली पुत्त पाहिलं दारियं भरियत्ताए उवणिय पामति २ सा हट्ठ तुटे,पोटिलाए सद्धिं पट्टयं दुरुहइ २त्ता
सेयापीएहिं कलसेहिं अप्पाणं मज्जावेति २, अग्गिहामं कारति पाणिग्रहणं करति # इस बात का निवेदन किया. ॥ ८ ॥ एकदा कलाद सुपर्णकार सुप तिथि, मुहूर्न, करण, व नक्षत्र में
पाहिला पुत्री को सान कराके यावत् मर्च आलंकार से विभूषित बनाकर शिविका पर बैठाकर भित्र ज्ञाति स्वजन संबंधि नन की माथ पर बराहा अपने गृह से नीकला. और सब ऋद्ध सहित तेतली. पुर नगर की बीच में होता हुआ तेतली आमात्य के ग्रह आया. और उसने वहां अपनी पुत्री ततकी पुत्र आमात्य को उन की भार्य के लिये दी, ॥ ९ ॥ पाली कन्या को आई हुई देख कर ततली पुत्र आपात्य । हृष्ट तुष्ट हुना. पोट्टिनकी साथ प.ट पर बैठ कर श्वेन कलाशों से स्नान करके अग्निहोत्र कराया. फीर
तलोपुष का च उदामा अध्ययन High
अर्थ
6. पष्ट
-
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org