Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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सूत्र
अर्थ
**मनुवादक बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमालका
तु तं महत्थे ३ जात्र पडिच्छति, घण्णं सत्थव हं सक्कारेमि समाति सक्कारेचा समाणेता उम्मक्कं वियरति पाडावसज्जेति भडविणामयं करेति २ पडिभंड गति २ ता मुहं सुहेणं जेणेव चंपा नयरी तेणेव उवागच्छइ २ त्ता मित्तणाति अभिसमण्णागते विपुलाति माणुस्सगाई जाब विहरांत || १६ || तेण कालेणं ते समए थेरागमणं धणे धम्मं सोच्चा, जेटु पुत्तं कुटुंबे टूवेत्ता पव्वतिए, सामाइसाई एक्कारस अंगाई बहूणि वासाणि जाव मासियाए संलेहणः ए अन्नयरेसु देवालोएमु देवताए उबवण्णे सेणं देवा ताओ देवलगाओ आउक्खएणं भक्वएण टिइक्खणं अण्ण अर्थवाला भेटणा का स्वीकार किया. उन का मत्कार सम्मान किया. उन का कर माफ कर दिया और वहां से विसर्जित किया. धन्ना सार्थवाहने अपना करियाणा बेच दिया और वहा से दुसरे डोपकरण ग्रहण कर सुख पूर्वक चंपा नगरी में आये. मित्र ज्ञाति जनोंकी साथ मीलकर मनुष्य संबंधी विस्तीर्ण वाम भाग भांगता हुवा विचरने लगा. उस काल उस समय में स्थविर भगवंत पधारे, परिषदा वंदन करने को आइ, धन्ना सार्थवाह धर्म सुनकर ज्येष्ठ पुत्र को कुटुम्ब में स्थापकर पवन्ति हुए. सामायिकादि अग्याग्ड 'अंग का अध्ययन कर बहुत वर्ष संयम पाल कर यावत् एक मास की संलेखना से किसी देवलोक में
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● काशक राजा बहादुर लालासहायजी ज्वालाप्रसादजी ●
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