Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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सूत्र
अर्थ
अनुवादक बाल- मुनि श्री अमोलक ऋषी
आगच्छति १ ता आसुरता ते मागंदिय दारए खरफरून निडर जयहिं एवं बयासी हं मां भागंदिय दारया ! जइ तुब्भे मएमडि बिउलाई भोग भोगाई माणा विरह तोते अत्थि जीविय; अहणं तब्भे मएमा घिउलातिं नो ह तामे अह इमेणं नप्पल गलगलिय जाव खग्धारेणं अमिणा रतगड
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या मापा उनमांहियाई, तालफलाणित्र सीसाति एगत एडमि ॥ १६ ॥ तते ते मागंदिय दाग्गा रयमदीवदेश्याएं अंतिए एयमटुं सोचा णिसम्म भीया . करपल जाब एवं वयामी - जण्ण देवगणुप्रिया ! वतिस्यति तस्म भाणा उनवाय aण निहते चिट्ठामो ॥ १७ ॥ ततेणं सा रयणदवि देवया ते मार्गदियदःरए
माणसे आकाश में उड़ती हुई उत्कृष्ट दीव्य देव गाने से उन पुत्रों की पास आई. वहाँ आकर रह उन पुत्रों को कठोर शब्दों से बोलने लगा कि अहो माय पुत्रो ! यदि तुम मेरी माथ विपुल भग भोगवे तो तुमारा जति है. और यदि तुप मेरी माथ विपुल गोग भोगन हुने नहीं रहोगे तो मेरे इप वन से साइफन जैम तुपारा इन रंगिन कपोलाले शोभनिक मस्तक को उतरूंगी ॥ १६ ॥ उप रत्न देवी का ऐसा वचन सुनकर वे पाकंदिय पुत्रों डरे और हाथ जोडकर ऐसा बोले कि यह देवानुप्रये ! आप जो अज्ञा बनाओगी उस अनुसार हम करेंगे. ॥ १७ ॥ अब वह न्द्वीया )
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० पाक- राजाबहादुर ला ग सुखदे सहा जी कलासा
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