Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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+ षष्टांग ज्ञाताधर्षकथा का प्रथम श्रुतस्कम 42+
तं अस्थिणं तुम देवाणप्पिया ! कहिंचि एरिसए सिरिदामगंडे दिट्ठिपुठवे जारिसएणं इमे पउमावतीएदेवीए सिरिदमगंड ? ॥ ततेणं सुब ई पडिबुद्धिरायं एवं वयासी-एवं खलु सामी । अहं अन्नयाकयाइ तुम्भं दोच्चणं महिलरायहाणिगत, तत्थ गं मरकभयस्सरमो धूयाए पभावतीएदेवी अत्तयाए मल्लीए विदहवर कप्णयाए संवच्छर पडिले . गसि दिव्वे सिरिदामगंडे दिटिपु तरसणं सिग्दिामगंडस्स इम पउमावती, (ए सिरियामगंडे सयसहस्तति मपिकल अग्घइ ॥ ५० ॥ ततेणं पडिबुद्धिराया सुबुद्धिं
आमचे एवं वयासी-कैरिसियाणं देव णुप्पिया ! मनीविदेहरायवर कन्ना, जस्मण और वहां बहुन राजा ईश्वर यादन् उन के ग्रमों में तैने प्रवेश किय है तो जैसा मेरी पद्मावती देवी का श्री दाम गेंद बनवाया है वैसा अन्य किसी स्था। मैंने देखा है ? सुद्ध प्रधानने उत्तर दिया कि अयो सामिन् ! एकदा आपकी आज्ञा होने में मिथिला राज्यपानि में गया था. वहां कुंपर ना की पुत्री व प्रभावनी देवी की आत्माजा मल्ल कुंवर्ग के वार्षिक उत्सव जन्मगांठ का उत्सव ] में ।
श्री दाम गेंद में देखा थ. उस श्री दाम गेंद से यह श्री दाम गेंद लाख भ ग में भी है भासका है है ॥ ५० ॥ प्रतियुद्ध राजाने मुबुद्धि पचान को पूछा कि अहो देवानुप्रिय ! जिन माल्लं कुंरी के वर्ष
अंमल्लीनाथा का पाठवा अध्ययन 48+
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