Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
View full book text
________________
सूत्र
अर्थ
बालरी श्री अलक ऋजी
गलिय अयसि कुसुम पगामं खुरवारा अनिंगहाय अभिमुद्द माध्यमाणं : पासते ॥ ५९ ॥ तण ते अग्न्नग बजा गंजनाणावा बणियगा एगचभं महंताल विमाय पसति ताल जंघ दिवंगया है बाहाहि फहमिरिं भमरांनगरवर मासरासि महिम गंभरिय मेह-नं. मुख्यगह, फलनारसजीहं लंबे टू. धवलवह अमिलिट्टु तिक्खथर पग कुडिल दाढी बगहाणं विकमियधारासि जयल सम मरिस तणुत्र चंचल गलन रमलोल चाल फुर पुरतं जिल्ल लियग्गाय जहिं, अत्रयच्छिय बीके पर गालगुडी पाक्षु की बङ्ग हथ में प्राण कर आहु
हस्तक
देव ॥ ५९ ॥ नलसाजी श. मह उड़ने की राशी पालनप शुश्य वर्ण पखाल अनपाया वा बबन पत्र का हव्य जिवली हुई स्थ पुष्ट न कटेल द नमें से बाहर निकलई अधिक युग समन पली चंचल झरती हुई लाल को टपकती हुई कंपन दो जिह्वा के अग्रभाग मुख में ले बाहिर निकालनेवाला, खुल्ला
Jain Education International
० प्रकाशक राजा दुर लालामुखदेव सहाय जी ज्वाला प्रसादजी ०
For Personal & Private Use Only
१४२
www.jainelibrary.org