Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
View full book text
________________
4-
PO
त्र
2
has it ilab
कुंभगस्मरन्ना पभावतीए देवीए कुछिसि ताओ देवलागाओ अ हारबछातीए. भवतीए, सरीरकतीए गमताए वसत ।। २७॥ त रयगं च गं पभावद तामे तारिस गसि वामभवणमि सयणिजसि जाव अद्धरस काल समयास सत्तजागरा ओहोरमाणी २ इमेयारूपे उराले कल्लाण सिवे धणे मंगले मस्सिरिये चउद्दसमहासुमिणे पासत्ताण पडिबुद्दा तंजहा गय. बसह, सीह, अभीमेय, दाम, मसि, दिण्या, ज्झय, कुंभं. पउमसर, सागर, विमाणा, रयण चेया मिहच ॥ २८ ॥ तएणं सा पभावइदेबी
जणव कुंभराया तेणेव उवागच्छइ २ त्ता जाव भत्तार कहणं, समणपाटग में देव बंधी पाहार, भव व शरीर छोडका गर्भ पने उत्पन्न हुए ॥ २७ ॥ 3 रात्रि में प्रभावती देवी पुनको यगर भान में यत् अर्थगत्र में सुप्त जन अरस्थ में एने उदार कल्याणकारी है का, मंगल कारी व रक्ष्यांवत २उहर मह सप्त दखकर जाग्रत हुई जिनके नाम- गज वृषभ ३
४ लक्ष्मी ५ पप्प की दो मालाओ ६ शशा ७ सूर्य ८ इन्द्र धना १ कुम्भ १० पद्य संगवर ११ मागर T१२२ विमान १३ गता की राशि १४ निर्व अधि. ॥ २८ ॥ तव पावती दवी जहां कुंघराजा थे वहां
आई. अपने पति को सर सप्न निवदन किय. सपा पाठों से इस की पृच्छा की पावन गर्भ की पति
मल्लीनाथजी का आठवा अध्ययन +
+
।
Jain Education Interational
For Personal & Private Use Only
www.ainelibrary.org