Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
View full book text
________________
4. अमुसदक-बाला ह्मचारीमुनि श्री अपोलकाता
प्रत्यणं महे। गघरेहोत्या, दिवसच सच्चे व.ए, सन्निहि परिहा ॥२॥ तरण सागए गयरे पडिबुद्धीन मं इक्खागराया परिवमति, पङमावतीदेवी, सुबडी आमच्चे सामदंडे ॥ ४३ ॥ ततेणं पउमावतीएदेवीए अन्नयाकमाइ नागजत्ताएयाविहोत्थ. ॥ ततेणं सा पउमावतीदेवी नागजतं मुट्टिय जाणित्ता, जगेव पडिबुद्धीगया तगेव उवागच्छइ २ ता करयल जाव एवं बयासी.एव खल सामी ! ममकलं गार्ग जत्तए भविस्तति, त इच्छ मिणं सामी ! तुबभेहिं अब्मणु गायासभाणी नाग जन्नयं गमित्तए, तुम्भेवियणं सामी ! मम नागजन्नयांम समोसरेह ॥ ततेणं पडिबुद्धाराया पउवमाइदेवीए एयमट्ठ परिसुगति ॥ ४४ ॥ ततेणं पउमावती करनेवाला प्रतिमा की पास रहनेवाला थ' ॥४२॥ उम माका नगर में प्र नेबुद्धि नाम का इक्षागांश का राजा राज्य करता था, उनकी पद्मावती देवी थे , सुद्धि प्रधा। था वह शमादि दंड में कुशल था. ॥४३॥ एकदा पद्मावती देवी को नाग देवी यापा-उलप था वह उत्सव पास आया जानकर प्रतिवाद राजा की पस जाकर हाथ जोडकर एमाबली, हो सामिन् ! कल मर को नाग देवता का उत्सव में जाना है इससे आपकी अज्ञ होवे तो नाग उत्सव में जाना चाहता हूं और आप भी वहां पध रे. प्रतिबुद्ध रानाने पनातीदेवी का पनन मान्य किया ॥ ४४ ॥ पतेबुद्धि
* प्रकाशक-राजाहरलालामुखहवमहायजी उचाल मा
अथे
.
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org