Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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- पहङ्गामध-वथ का प्रथम श्रमसन्ध
देवी पडिबुद्धमन्ना अब्भणुन्नयासमाणी हट्ट तट्ठा कोडुबियपुरिसे सहावेति, महावत्ता एवं वयानी एवं खल देव णपिया ! ममकलं णागजणए भविस्मइ 13 त तुम्भे मालागार सह बेइ २, त्सा एवं बदह-एवं खल पउमावई देवीए कल्ल णागजन्नए भविस्वइ, तं तुम्भेणं देवाणु प्पिया ! जलय थलय दसद्ध वण मलं जाग घरपंसि माहरेह, जलयथलय दमवण मलं साहरित्ता एचगं महसिरिदामगड उवणेह ॥ तेणं जलय थलय दसद्धवन्नणं मलण नाणाविहभात्त मुविरइयं करेह, तास
भति सि हस मिय मयूर कोच सारम चक्कवाय मयण साला कोइल कुलोवेवय ईहामिय है।ज की अनज्ञ होने में पछावनी दी हृष्ट तुष्ट हुई और कौम्बि: पुरुषों क बोलाका ऐसा बोली अहोईल दवा ! कल मुझ नगक उत्सव है इस मे अहो देशानुभव ! मलाकार को बोलकर ऐसा कहा iक (मता देवी का कल नाग का उत्सव है इस से पांचों वर्ण वाले जलज 4 स्थलज पुष्पों की
लाओं नागपुर में लाया और उसका ए बड़ा श भय मान गेंदबावो फेर ले त्पन्न व स्थल पत्र पानों वर्ण पुरुषों की माला वध कर के इंत, मृग, मयुर, केंच, मास, चकवे, पैना, कोकिला ils 2. गुरु व साभा, चल, याहा मनुष्य मकर, पक्षी, वगल', विमर, अष्टापद, चवी गाय, हाथी वगैरह
विपित्रकार के चित्र बनायों, और पहन मह मावाला पुष्य का पंडाव . 11 के भ भ म में
मल्लानयना का अठमा अध्यय। 42
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