Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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जवादक बालब्रह्मचारी मुनि श्री गसक पीजी
देवीवा, कुमारेवा,ईसरवा,तलवरेवा, कोडुपियपुरिसा, माडंबिय इन्भ, सेटुि, सेणावति सत्यवाहे यावच्चा पुत्त पव्ययंत मणुपत्वयति,तस्सणं कण्हवासुदेवे अणुजाणति पच्छाओ तस्सविय से मित्त णाति जोग खेमवद्यमाणो पडिनदइ तिकटु घाखणं बोलेह जानन घोसंति ॥ २३ ॥ ततेणं थावच्चा पुत्तरस अगुराएणं पुरिस सहस्सं णिक्खमणाभिमुहं व्हाय सन्यालंकारं विमूसियं पत्तेयं २ पुरिस सहस्तवाहिणीसु सिविया दुरूसमाणं मित्तणाइ परिवुडं थावच्चापुत्तरस अंतियं पाउभवित्था ॥ २४ ॥ ततेणं से कण्हे
वासुदेवे पुरिससहस्सं अंतियं पाउब्भवमाणं पासति र सा कोडुबिय पुरिसे सहासेनापनि व मार्यवाह वगैरह थावई पुत्रकी साथ दीक्षा ग्रहण करेंगे उनको कृष्ण पामुदेव की अनुज्ञा है, उनके पीछे जो कोई मित्र, ति आदि रहेंगे उस सब परिवारको इच्छित मुख कृष्ण वासुदेव देंगे. कोम्बिक पुरुषोंने उक्त कथनानसारं उद्घोषणा की. ॥ २३ ॥इस सरह उद्घोषणा मुनकर एक साल पुरुषों दीक्षा लेने को तैयार हो, स्नान किया, अलंकार से विभूषित बने और पत्येकाचार मनुष्य रहाणे वैसी शिविका में बैठकर मित्र शाति स्वजन संवा की सार बावर्चा पुत्रकी पास भाये ॥२॥ एकबार परुष दक्षिालने के लिये माये हुवे देखकर कृष्ण बामदेवने कौदमिक पुरुषों को बोलाये और
• प्रायासारशला हरदेवतालापलादणी .
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