Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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१ अनुवादक-बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी+
जीवा लहुयत्तं हवमागच्छंते ॥ ६ ॥ एवं खलु जंबु ! समणेणं भगव्या महावीरणं जाव संपत्तेणं छट्ठस्त नायज्झयणस्स अयम? पण्णत्ते, तिबेमि ॥ छटुं णायन्डारणं सम्मत्तं ॥ ६ ॥ इह उपणय गाहा–जहामिउलेवालित्तं, गुरुयंतुबे अहो क्यइ ।। एवं आसव कय कम्म, गुरुजीवावच्चंति अहरगई ॥१॥ तंव तन्विमुकं, जलोवरिट्ठाइ
जाइलहु भाव||जह तह कम्मविमुक्का,लोयग्गपइट्ठियाहुंति॥२॥छटुंणायज्झणं सम्मत्॥६॥ का यह अर्थ कहा. यह छठा अध्ययन संपूर्ण हुवा. ॥ ६ ॥ उपसंहार-जैसे मिट्टिके लेपसे भारी पना हुषा तुम्बा नीचे जाता है ऐसे ही आश्रव कृत कर्म से जीवों नीचेगति में जाते हैं. वही तुम्बा उसलेपों से मुक्त होने से पानी पर आकर ठहरता है वैसे ही कर्म से मुक्त जीवों लोकाग्र (मोक्षस्थान) में स्थित होते हैं. यह छठा अध्ययन संपूर्ण हुआ. ॥६॥
• प्रकाशक राजाबहादुर लाला मुखदेवसहायजी ज्वाळाप्रसादजी .
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