Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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जरिभात (मेषकुमार) का
8+ पामांम-माता धर्मकथा का प्रथम श्रुतमन
दरीमुय, कुहरेसुय, कंदरासुय, उज्झरेसुथ,णिज्झरसुय, विपरेमुय, गतामुय,विखलेसुयाई कडगेसुय, कडगपल्लेलसुय, तडीसुय, वियडीसुय, टंकेसुथ, कुंडेसुस, सिहरेसुय, पम्भारेसुय, मंचेसुय, मालसुय, काणणेसुयः वणेसुय, वणसंडेसुय, वणराईसुय, गइसुय, णइकच्छेनुय, जूहेसुय, संगमसुप, वावीसुय, पुक्खरिणीसुष, दीहियासुथ, गुजालियामुया, सरमुय, सरपतियासुय, वणयरहिं दिष्णविणारे, बहुहिं हत्यहिष जाव सहि संपरिबुड़े बहुविह तरुपल्लव पउर पाणिय. तणेणिभए: णिरूविगे मुहं .
मुहणं विहरइ ॥ १३९ ॥ तएणं तुम मेहा अण्णया कयाई पाउसवारसारच सांय . सातादयगिरि पर्वत के मूल में, केंदगपडी गुफा में दरी-छोटी गुफा में उज्वर-पर्वत पर से पानी पस्ने । के स्थान, कुंदर-पर्वत की तराड, मिसना पानी नीकलमे के स्थान, बिहार-छोटी नदी, गर्मा-खां विल्लल-बिनाबन्धे तालाब में कडग पर्वत के कडवे में, नदी आदिके तट अटवि में कूट में... शिखर, प्रभार में, भांचा में, माला में, कानन, वन वनखंड, पनराजी, नदी, कच्छ, युप, संगम अचडियों पुरा दीपिका, गुंजालि का बांकी वावी, सरीवर सरोवर की पंक्ति में, बमयरों की साथ बहुत रानी डायनी यों की साथ परवरा हुवा अनेक वृक्षों के कुंबल खाता. हुवा हसपास घरता हुवा निर्मकपारी पाता दुता, किसी प्रकार के उपद्रव सेग सहित सदैवमुख समाधि में, दिखरता था. ॥ ११९ ॥ मो मेनका
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