Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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पष्टाङ्गजाताधर्मकथा का प्रथम श्रुतस्कम्प
॥ १९॥ ततेणं से पंथए दास चेडए देवदिमस्स हारगस्स बालग्गाही जाए देवदिन्नं दारयं कडीए गिण्हइ २ वहहिं डिभएदिय डिभियाहिय दारएहिं दारियाहि कुमारहिं कुमारियाहिय सद्धिं संपरिबुड अभिरमइ ॥ २० ॥ ततेणं सा भद्दा सत्यवाही अन्नयाकयाइ देवादिन्नं दारयं व्हायं कपवलिकम्मं कयकोउयमंगल पायछित्तं सम्बालंकार विभूसियं करेइ २ पंथयस्स दास चेडयस हत्ययांसि दलयइ ॥ २१ ॥ ततेणं से पंथए दास चेडए भद्दाए सत्थवाहीए हत्थाओ देवदिण्णं दारगं कडीए गिण्हइ गिव्हइत्ता, सयाओ गिहाओ पडिाणक्खमइ २, बहूहिं डिभएहिय डिभियाहिय भंडार में द्रव्य की वृद्धि की. ॥ १९ ॥ पंथक दास उस कुमार का वालग्राही हुवा अर्थात् बालक को लेकर खेलाने वाला हुवा. और उस कुमार को कम्मरपर बैठाकर बहुत बालक बालिकाओं से परवर हुवा खलने लगा. ॥ २० ॥ एकदा भद्रा मार्थवाहीने देवपिन कुमार को मान कराया यावत् शरीर स्वच्छ किया दवा सर्वालंकार से विभूषित किया. और पंथक दास को खेलाने को दिया ॥ २१॥ भद्रा सार्थवाहिनी की पास से कुपार को लेकर वह पंथक उसे अपनी कम्मरपर बैठाकर अपने गृह से नीकला और बहुत बालक बालिकाओं को साथ लेकर राज मार्ग पर गया. वह यहां देवदिन कुमार को एकांत
takघमा सार्थवाह का दूसरा अध्ययन -4
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