Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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अनुन दयाल ब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी +
सत्यवाही णवण्ह मासाणं बहुपडिपुण्णाणं अट्ठमाण राइंदियाणं सुकुमाल पाणिपायं जाव दारगं पयाया ॥ १८ ॥ ततेणं तस्स दारगस्स अम्मापियरो पढमे दिवसे जाइ कम्मं करति तहेव जाव विउलं असणं पाणं खाइमं साइमं उपक्खडावेति तहेव मित्तणाति भोयावेत्ता, अयमेयारूवं गोणं गुणणिप्पण्णं नामधेनं करेंति, जम्हाणं अम्हं इमे दारए बहूणं नागपडिमाणेय जाव वेसमणपडिमाणय उवाइयलढणं तं होउणं अम्हं इमे दारए देवदिण्णे नारेण ॥ ततेणं तस्स दारगरस अम्मापियरो णामधिज्जं करेंति देवादिन्नेति ॥ १८ ॥
ततणं तस्स दारगरस अम्मापियरो जायंच दायंच भायंच अक्खयनिर्हिच अणुबड्डति पूर्ण हाते उस को मुकोमल हाथ पांव वाला पुत्र उत्पन्न हुवा. ॥ १८ ॥ उस बालक के माता पिताने प्रथम दिन जात कर्म चर्म रोदनादि किया यावत् जन्म का उत्सव करके विस्तीर्ण अशनादि चारों प्रकार का आहार तैयार करके मित्र ज्ञाति आदि को भोजन करा के गुण निष्पन्न नाम की स्थापना की नाग
की प्रतिमा यावत् वैश्रमण देवकी प्रतिमा का आराधन करने से इस पुत्र की मति हुई है इस से इस के पत्र का नाम देवदिन कुमार होवे. तत्पश्चात उस पत्र के माता-पितान उत का नाम देवदिन कमार रखा.
॥ १८ ॥ तत्पश्चात् उस पुत्र के मात पिताने पूजा.की, दान दिया, द्रव्योत्पत्ति का भाग दिया पावत् :
प्रकाशक राजाबहादुर लाला सुखदवसहायजी ज्वाला प्रसाद
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