Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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णिग्गच्छर २त्ता जेणेव जिष्णुजाणे जेणेव भग्गवए तेणेव उवागच्छइ २त्ता देवविन्नं दारयं जीवियातो ववरोवेति २ आभरणालंकार गिण्हति २ देवदिन्नस्स दारगस्स सरीरं निप्पाणं निच्चेटुं जीवविप्पजढं भग्गकूवए पक्खिवइ २ जेणेव मालुयाकच्छए तेणेव उवागच्छइ, तेणेव उवागच्छइत्ता मालुया, कच्छयं अणुप्पविसइ २ ता णिच्चले णिफंदे तुसिणीए दिवसं खवेमाणे चिट्ठइ ॥ २३ ॥ ततेणं से पंथए दासचेडे तओ मुहुत्ततरस्स जेणेव देवदिन्ने दारए ठविए तेणेव उवागच्छइ २ देवदिन्नं
दारगं तंसि ठाणंसि अपासमाणे रोयमाणे कंदमाणे विलवमाणे देवदिन्नस्स दारगस्स मे बहिर नीकल गया. और जहां जीर्ण उद्यान था. व तूटा हुवा कूबा था वहां आया. वहांपर उस कुमार को मारकर उम के अलंकारों ले लिये और उस कुमार का प्राण रहित निश्चेष्ठ व जीव रहित शरीर को उम तूटा हुवः कूत्रा में डालकर मालुया कच्छ में जाकर वहां निश्चिल स्थिर चूपचाप रहकर दिन
व्यतीत किया. ॥ २३ ॥ थोहे संमय पीछे वह पंथक नामक दास देवदिन कुमार को जहां रखा था.13 2वहां गया, पांतु वहाँ वह नहीं मीलने से रोता हुवा, आक्रंद करता हुवा, विलाप करता हुवा उस कुमार
की चारों तरफ उसने गवेषणा की. गोषणा करते हवे भी उस को इन को किसी प्रकार से पत्ता नहीं।
8+ षष्ठान ज्ञाताधर्मकथा का प्रथम-श्रुतस्कंध
धनामावाह का दूमरा अध्ययन 488
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