Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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अनुवादक-बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी +
एयम8 पडिसुणेति २ चा तं मयूर पोयमं गेण्हतिरत्ताजेणेव सएगिहे तेणेव उवागच्छद २त्ता तं मयूर पोयगं जाव नटुलगं सिक्खावेति २ ॥ २२ ॥ ततेणं से मयूरपोयए उम्मुक्क बालभावे विणाय जोवण लक्खण वंजण मणुम्माण पडिपुन्न पक्खापिहुण कलावे विचित्ता पिच्छा सत चंदए नीलकंटुए णचणसीलएय एगाए चंपुडीयाए कयाए समाणीए अणेगाई नदृल्लुगसयाई कयातित सयाणिए करेमाणे विहरइ ॥२३॥ ततेणं से मयूर पोसगं तं मयूर पोतगं उम्मुक्कबाल जाव करेमाणे पासित्ताणं
तं मयूर पोयगं गेण्हंति २त्ता जिगदत्त पुत्तस्स उवणेति २ ॥ २४॥ ततेणं से जिण मयूर पोषकोने उनकी बात मान्यकी और उसे लेकर अपने गृह आया यावत् ससको नृत्य कला शिखलाइ ॥२२॥ अब वह मयूरी का बच्चा वाल भाव से मुक्त होकर विज्ञान, यौवन, लक्षण, व्यंजन, मान, उन्मान. ब. प्रमाण, प्रतिपूर्ण पांखों, मयूर के अंग का कलाप, पांखों में चांदों का समुहवाला बनकर हरे रंग की गर्दन
वाला नृत्य शलाला एक चिपटी बनाने जिसने समय में अनेक प्रकार की.नृत्य कलामें विविध १० प्रकार के मयूर के शब्दों में प्रविण बना ॥ २३ ॥ उस पयी के बच्चे को ऐंमा कलावान बना हुमा जान
कर उस के शिख.नेवालें उसे लेकर जिनदत्त शेठ की पास गये ॥ २४ ॥ वह जिनदत्त पुत्र उस को एसी,
• प्रकाशक राजाबहादूर लाला सुखदेवसहायजी ज्यालामसादजी .
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