Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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षष्ठङ्ग जाता धर्मकथा का-प्रथम श्रुतस्कंध
कसप्पहारेप जाब णिवाएमाणा विहरति ॥२८॥ततेणं से धण्णेसत्थवाहे मित्तणाति णियग। सयण सबंधि परिययेण सहिं रोयमाणे जाव विलवमाणे देवदिन्नस्स दारगस्स सरीरस्स महया इड्डीसक्कारसमुदएणं निहरणं करेंति२बहुइं लोइयाई मय किच्चाई करेतिरकेइ कालंतरेणं अवगय सोए आएयावि होत्था ॥ २९ ॥ततेणं से धण्णेसत्थवाहे अन्नया कयाई अण्णया लहुसयंसि रायावराहसि संपलिंत्ते जाएयावि होत्थागततेणं तेणगरगुत्तिया धण्णंसत्यवाहं गिण्हति २ जेणेव चारए तेणेव उवागच्छति चारगं अणुपवेसंति विजएणं तकरएणं सहिं एगयओ हडिबंधणं करेंति ॥ ३० ॥ ततेणं सा
किया, और संध्या समय में चाबूक के प्रहार से यावत् मारने लगे ॥२८॥ तत्पश्चात् धना सार्थवाहने अपमे सजन संबंधी परिवार सहित रोता हुवा यावत् विलाप करना हुवा देवदिन बालक के शरीर का ३हुन दि सत्कार सयुदय से निहारन किया. लौकिक मुत्यु की कियाओं को, और कितनेक कासांतर मे शोक रहित होगये ॥ २९ ॥ एकदा घमासार्थवाह भी गज्य के छोटे अपराध में आगये. और किसी पिशुनने राज पुरुष को कहा. इस से नगर रक्षक (कोतवाल) धनासार्थवाह को लेकर केदखाने में लेगये और वहां विजय तस्कर की साथ एक ही खोडे में बांध दिया. ॥३०॥ वह भद्रा भार्या* का १ छोटे अपराध में दाण चोरी का अर्थ लेते हैं ऐसा परंपरा है.
धना सार्यवाह का दूसरा अध्ययन HA
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