Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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सूत्र
अथ
शनि श्री अमोलक
and aण माया नियडि कूड कवड माइ संपओग बहुले, चिरणगरविण सीलायर चरिते, जूदपसंगी, मज्जपसंगी भोजपसंगी, मंसपसंगी, दारुण साहसिए, संधिच्छेयए, उबहिए, विसम्भघाइ, आयलिंग तित्थभेय लहुहत्य संपते परस्त दव्त्र हरणमि जिव अणुबडे, तिव्बंबरे; गगहस्स नगरस्त बहुणि अतिगमणाणिय, जिगामणाजिय दाराणिय, अवदाराशिय, छिंडिउप, खंडीउय, जगर मिपाणिय, संवट्टणाणिय, निवाणिय, जुबखलिय, पाणागाराणिय, वेखागारागाथा, खोटेले खोटे माप का अतिशय से प्रयोग कर सका था, बहुत काल से नगर में बहुत धूर करने वाला था, द्यूत (जुवा) का प्रसंगी खेलनेवाला था, मद्य व मांस का प्रसंगी था, थालेकी विदारने में बडा दारुण था, साहसिक था, सन्धि छेदक खातका देने औधिया से पच्छन्नवारी थी, विश्वासघाती था, अग्नि लगाने वाला था देने को परि में भेद करने वाला था, चौर्य कर्म में उस का हाथ बहुत हलका था, अन्य हरण करने में नित्य अनुबद्ध था, और तीव्र वैर विरोध का करने वाला था. वह चोर नगर के बहुत से कलने के द्वार, प्रवेश करने के द्वार. गुप्त छिष हुवे मार्ग, छंडी, गल्ली कूंची का मापड हुए गिरे हुब मकानों में जाने के मार्ग, नगर के नाले व नालियों में से जाने के मार्ग,
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० प्रकाशक राजवार लाला सुखदेवसहायजी ज्वालापसादजी
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