Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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मुनि श्री अमोलक ऋषि नो के
सुहियस्सय,दुहियस्सय,विदेसत्थस्सय, विप्परसियरसय मगगंध छिदंच विरहंच अंतरंच
मग्गमाणे गवेसमागे एवं च णं विहरइबिहिया वियण रायागहस्स नगरस्स आरामेसुय, उजाणे सुय,सुसाणे सुर बाधीपोखराणि दीहिया गुंजालिय सरपंतिया सरसर पंतियासुय, जिण्णुजाणेसुय, भग्गकूबएसय, मालुयाकच्छए उय, सुसाणे सुय, गिरिकंदरलयण
जेमम के स्थान में महदिक के युद्ध स्थान में, बहुत लोगों के क्लेश वाले स्थान में, मदोन्मत्त नशा से व्याप्त लोगों के स्थान में, निद्रादि स व्याप्त लेगों के स्थान में अन्य कार्य में चित्त तल्लीन करने वाले लोगों के स्थान में, बहुत कार्यों से व्याकूल लोकों के स्थान में, और बहुत सुख में रक्त लोगों के स्यान में चोरी करने का प्रसंग अच्छा रहता है इन से इन स्थानों का अवलोकन करता हुवा और देशान्तर जाने के लिये तैयार हुवे लोगों के स्थान में मार्ग में अवेलो मनुष्य के स्थान में इन के अंतर का विचार करता हुदा पा करमा या इसप्रकार ५४ विजय चौर विचर रहा था. और नगर के वाहिर भी सी पुरुषों को ऋडा कर६. अगम, पररा वृक्षा बाल उद्यान में, बाद में पाकरणियों, दायिक लम्मी वाडीयों में, गुनालिका गलाडियों में, पानी की नहेरोमें, हर में, तालाब की पंक्तिओम बहुत सरोवर की पंक्तियों में, जीर्ण पड हुवे उद्यानों में, भगे टुटे कूचे के स्थानों में, मालूया कच्छ के स्थान
• प्रकाशक-राजाबहादुर लाला सुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी.
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