Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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4-, अनुवादक-बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी
। बुझिहिति मुच्चिहिंति परिणिवाहिति सम्वदुक्खाणं अंतकाहिति ॥ १८८ ॥....
एवं खलु जंबू ! समणेणं भगवया महावीरेणं आइगरेणं तित्थगरेणं जाव संपत्तणं । अप्पोलं भणिमित्तं ॥ पढमस्स णायज्झयणस्स अयम? पण्णत्ते ॥ त्तिबेमि ॥ पढमं अज्झयणं सम्मत्तं ॥ महरेहिं णिउणेसिं बयणेहिय चोययंति आयरिया सीसे कहिं चिखालए जहा मेघमुणि महावीरो ॥ इति . पढम अज्झयणं सम्मत्तं ॥ १ ॥
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. ... . करेंगे व सब दुःखों का अंत करेंगे. ॥ १८८ ।। अहो म्बू ! श्री श्रमण भगवान महावीर स्वामी कि जो आदि के करने वाल यार निर्माण को प्राप्त हुवे हैं उन प्रविषिष्य को उपालम्य रूप यह अध्ययन कहा है. यह प्रथप अगर का अर्थ कहा. यह प्रथम अध्ययन संपूर्ण हुवा. उपसंहारजैसे महावीर स्वामीन मेघ मुनि को मधुर निपुण वचनों से उपालम्भ दिया वैसे ही आचार्य किसी अविनीत शिष्य को धुर वचनों से उपालम्भ देवे. ॥ १॥ . . .
• प्रबंशक-राजाबहादर लाला सुखदेवमहायजी ज्वालाप्रसदाजी.
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