Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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१ अनुवादक-बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी
समणे भगवं महावीरे भगवं गोयम एवं क्यासी एवं खलु गोयमा ! मम अंतेवासी मेह णाम अणगारे पगइभदए जाव विणीए,सेणं तहारूवाणं थेराणं अंतिए सामाइयमाइ याए एक्कारस अंगाइ अहिजइत्ता बारस भिक्खुपडिमाओ गुणरयण संवच्छरं तवोकम्म काएगं फासित्ता जाव किहित्ता मए अब्भणुण्णाए समाणे गोयमाइ थेरेखामेइ तहा रूहि जाव विपुल पब्वयं दुरूहइ २ त्ता दब्भसंथारगं संथरंति २ चा दग्भसंथारो वगय सयमव पचमहन्धए उच्चारइ बारस बासाई सामण्ण परियागं पाउणित्ता मासियाए संलहणाए अप्पाणं ज्झसित्ता साट्ठि भत्ताई अणसणाए छेदत्ता आलोइव पडिकते
उहियमन समाहिपत्ते कालमासे कालं किच्चा उड्डे चंदिम सुरग्गहगण णक्खत्त ताराकर कहां गया गावत् कहाँ उत्पन्न हुवा ? भगवान ने गौतम को कड़ा अहो गौतम! मेरा शिष्य प्रकृति भदेक यावत् विनीत मेघ अनगार तयारूप स्थविरों की पाम अग्यारह अंग का अध्ययन करके चारह का भिक्षु प्रतिमा व गुणरत्न संवत्सर तप कर्म से शरीर को कृश बनाकर मेरी अनुज्ञासे गौतमादि स्थविरों को खमाकर ताकर कडास्थविरा की साय विपुल पर्वत पर चढकर बारह वर्ष साधुपना पालकर एक माम की मलेखग से आत्मा को शेपार, माउ भक अनशन का छेदन कर आलोचना प्रतिक्रमण *सह शसनीकारसमधि । कालो अवसरमें क उ पूर्गहर चंद्र सूर्य ग्रह नक्षत्र रूपमे बहन योजन, पहत मो
• प्रकाशक-राजाबहादुर लाला मुखदेवसहायजी ज्वालीप्रसादजी
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