Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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सेयापीयएहि कलसेहिं ण्हायेइ २ पम्हल सूकमालाए गंधकासाइयाए गायाई लूहेइर __ सरसेणं गोसीस चंदणेणं गायाइं अणुलिपंति २ णासाणीसासवायवोजं जाव हंसं
लक्खण पडग साडगंणियंसेइ, हारंपिणहति २ अद्धारं पिणद्वंति २ एवं एगावलिं२ मत्तावलिं २, कणगावलिं २,रयणावलिं २,पालंब २,पयापलंब कडगाइं २, तुडियाई,
केऊराई २, अंगयाइं २, दसमुहियाणं तयं २ कडिसुत्तयं कुंडलाई, चूडामाणि रयणुहै कडं मउड पिणद्धंति दिव्य सुमणदामं पिगद्धतिकटु, रमलय सुगंधिएगंधे पिणद्धति
॥ ११८ ॥ तएणं तं मेहंकुमारं गंटिम वेढिम, पुरिम, संओइमेण. चउबिहेणं मलेणं तीनवार श्वेत पीत चांदी सवर्ण के] कलश से स्नान करायः पक्ष समान मुकोमल काषायिक सुगधि वस्त्र से गावों पूछे, श्रेष्ठ गोशीर्ष चंदन से गात्रोंको विलेपन कीया, के वायु से उडे वैसे यावत् हंभ समान श्वेत वस्त्र पहिनाया,हार,अर्धहार ऐसे ही एकावली कनकावली मानली हार धारन कराये, हाथ में कडे, बहे
रखे, केयूर वगैरह पहिनाये,दशों अंगलियों में मुद्रिकाओं, केम्मरकंदोरा, कर्ण में कुंडल मस्तक पर चडा ae पणि मुकुट,रत्न से जड़ी हुई दीव्य पुष्पों की माला वगैरह पहिनाई,परमार से उत्पन्न हुवे सुगंधि वस्त्रों पहिने 11॥११८॥ सूत्रादि प्ले गुंथी हुई, पुष्पादि से बीटी हुई, धातु आदिसे पूरी हुई. व वस्तु संयोग से बनाई हुई, यो
षष्टमांग-ज्ञाता धर्मकथा का प्रथम श्रुतस्कन्ध्र
348 उक्षिप्त ( मेघकुमार ) का प्रथम अध्ययन
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