Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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सूत्र
सत्तेहि संजमइ ॥ १३ ॥ज दिवसंचणं मेहकुमारे मुंडे भवित्ता आगाराओ अण. गारियं पन्चाए तस्सणं दिवसस्स पुवावरण्हकालसमयंसि समणाणं णिग्गंथाणं अहारावीणयाए सेजा. संथरएमुवि भजमाणेम मेहस्तकुमारस्स दारमूले सिज्जा संथारएयाचि होत्थ ॥ ३२ ॥ तएणं समणाणिग्गंधा पुब्बरत्ता वरत्तकाल ममयंति वाय. पाए पुच्छणाए परियणाए धम्माणुयोगचिंताएय उच्चारसय पासवणस्सय अइगच्छमाणाय णिगच्छमाणाय-अगइया मेहंकुमारं हत्यहिसंघटंति, एवं-पाएक्षि-सीसेणं पोटे.
काय, अप्पेगझ्या ओलंडइ, अपंगइया पोलैंडेइ. अप्पगइया पायरएणुगंडियं करेइ, पालनलगे॥१३॥ जिमदिन मेषकुमारने मुंडित कर गृहवास संसापुरता प्रकारकीया उस दिनकी मंध्या समय यथारलाधिक प्रमण निर्ग्रन्थों के शैय्या संधारेकी जगहाका निभा समयकुमारका सोनेका पिछा-31 नाद्वार की पास आया. क्योंकि यह नव दीक्षिा ॥१३२॥उसप्तमयमें आधी रात्रिधीने बाद श्रमण निर्ग्रन्थों वाचना, पृच्छना, पर्यटना, धर्म चितवना व लघुनीन बडीमीत कैलिये जाने माने से कितनेक का मेघकुमार के हाथ का संघटन हुवा, कितनेक का पांव से, मस्तक से व पीठ से संघटन हुवा, कितनेक उल्लंघकर जांसमे,पलंघनकर आनेटगे कितनेकेषांवकीरजम मेघकमारका शरीरभर गया; यो संपूर्ण रात्रिम मेघकुमारकी
दीक्षा में बडे साधुओं का बिछोना पाहले किया मोर छोटे का पीछे किया यों अनुकम से बिछोने किये थे.
नयर बामथम श्रुतरसन्ध म पष्टयांग ज्ञानाधर्म
Hiसिस(पकुमाराव अध्ययन 4
अर्थ
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