Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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42 अनुवादक-पालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी 8
पुरंचणे अवस्सविष्पजहणिजे, से कैर्ण ज.जइ अन्याओ ! के पुब्धिगमणाए के पच्छा .. गमणाए, तं इच्छामिणं अम्मयाओ! तुब्भहिं अब्भणुण्णाए समाणे समणरुस भगवओ महावीरस्स अंतिए जाव पब्बइत्तए ॥ ९९ ॥ तएणं से मेहंकुमारं अम्मापियरो एवं 'बयासी इमाओ ले जाया! सरिसियाओ सरिसतयाओ सरिस्सम्बयाओ सरिसलावफ्णरूव जोवणगुणोक्वेयाओ; सस्सिहिंतोरायकुलहितो आणियल्लियाओ भारियाओ तंभुजाहिणं आया! एताहिं सडिं विपुले मणुस्सए कामभाए, तओपच्छा भुत्तभोए समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए जाव पव्वइ॥१०॥तएणं से मेहकुमारे अम्मापियरं एवं वयासीन्तहेवणं ममान,क्षणिक है और सडन पान व विमन धवाला है।इस लिये इसको आगे पीछ अवश्य सजना होगा. और भी अहो मातपिता! यह कौन जानता है कि पहिला कौन जायगा और पीछे कौन जायगा, इस से अहो मातपिता! मैं आपकी आज्ञा से श्री श्रमण भगवंत महावीर स्वामी की पास दीक्षा लेना चाहता हूँ॥१९॥ फोर मेघकुमार के मातपिताने कहा अहो पुत्र ! तेरे ममान,समान वय वाली,समान स्वचावाली,समान रूप, गुण. लावण्य व योवन वाली और समान राजकुल में लाइ हुई खियों हैं, इमलिये उम की साथत् मनुष्य संबंधी काम भोग भोगव तत्पश्चान श्रमण भगवंत महावीर की पास यावत् दीक्षा अंगीकार करना? ॥२०॥ तव मेघ कुमारने मातपिता को ऐसा कहा अहो मातपिता ! जैसे तुम कहते हो कि समान वय यावत् श्रणमा
मकाशक राजाबहादर लाला सुखदेवमहायजी ज्वालामसादजी,
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