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अल्पबहुत्व
सूचीपत्र
१८. आहारक मार्गणा १ सामान्य व २. ओघ व आदेश प्ररूपणा ।
३ अनाहारककी ओघ व आदेश प्ररूपणा । ३. प्रकीर्णक प्ररूपणाएँ १. सिद्धोकी अनेक अपेक्षाओसे अल्पबहत्व प्ररूपणा १ सहरण सिद्ध व जन्म सिद्धकी अपेक्षा। २. क्षेत्रको अपेक्षा (केवल सहरण सिद्धो में)। ३ कालको अपेक्षा। ४. अन्तरकी अपेक्षा। ५ गतिको अपेक्षा । ६. वेदनानुयोगको अपेक्षा। ७. तीथंकर ब सामान्य केवलीकी अपेक्षा । ८. चारित्रको अपेक्षा। १ प्रत्येकबुद्ध व बोधितबुद्धकी अपेक्षा। १० ज्ञानको अपेक्षा ११ अवगाहनाकी अपेक्षा । १२ युगपद प्रन सिद्धोंकी सख्या की अपेक्षा। २. १-१, २-२ आदि करके सचय होनेवाले जीवोकी
अल्प बहुत्वप्ररूपणा १. गति आदि १४ मार्गणाकी अपेक्षा । ३. २३ वर्गणाओ सम्बन्धी प्ररूपणाएँ १. एक श्रेणी वर्गणाके द्रव्य प्रमाण की अपेक्षा। २ नाना श्रेणी वर्गणाके द्रव्यप्रमाणकी अपेक्षा। ३. नाना श्रेणी प्रदेश प्रमाणकी अपेक्षा । ४. उपरोक्त तीनोंकी स्व व परस्थान प्ररूपणा ४. पंच शरीर बद्ध वर्गणाओकी प्ररूपणा १ पच वर्गणाओके द्रव्य प्रमाणकी अपेक्षा । २ पंच वर्गणाओकी अवगाहनाकी अपेक्षा। ३ पंच शरीरबद्ध विनसोपचयोकी अपेक्षा। ४. प्रत्येक वर्गणामें समय प्रबद्ध प्रदेशोकी अपेक्षा। ५ शरीर बद्र विस्रसोपचयोको स्व व परस्थानकी अपेक्षा। ६. पच शरीरबद्ध प्रदेशोकी अपेक्षा। ७. औदारिक शरीरबद्ध प्रदेशोकी अपेक्षा । ८. इन्द्रिय बद्ध प्रदेशोकी अपेक्षा । * पाँचो शरीरोमें प्रथम समय प्रबद्धसे लेकर अन्तिम समय प्रबद्ध तक बन्धे प्रदेशप्रमाणकी अपेक्षा । दे (प.ख.१४/५,६/
सू २६३-२८६/३३६-३५२) । * पॉचो शरीरोकी ज. व उ. स्थिति या निषेकोंके प्रमाणकी
अपेक्षा ।-दे (ध ख १४/५.६/सू ३२०-३३६/३६६-३६४) । पाँचो शरीरोके ज उ व उभय स्थितिगत निषेकों में प्रदेश प्रमाणकी अपेक्षा । -दे. (ष.ख.१४/५,६/सू.३४०-३८६/३७२-३८७)। उपरोक्त प्रदेशागों में एक व नाना गुणहानि स्थानान्तरों की
अपेक्षा।-दे (ष ख १४/५.६/सू ३६०-४०६।३८७-३६२) । * उपरोक्त निषेको के ज. उ. व उभय प्रदेशाग्र प्रमाणकी अपेक्षा ।
-दे. (ष.ख.१४/५.६/सू.४०७-४१५/३६२-३६५)। पाँचो शरीरोंमें बन्धे प्रदेशाग्रों के अविभाग प्रतिच्छेदोंकी
अपेक्षा ।-दे. (ष ख.१४/५.६/सू.५१५-५१६/४३७ ३८ । * पच शरीरोंके पुद्गलस्कन्धोंको संघातन, परिशातन, उभय
व अनुभयादि कृतियोंकी अपेक्षा |-दे. (ध.६/४,१,७१/२४६-३५४)।
५. पंच शरीरोंकी अल्पबहुत्व प्ररूपणाएँ १ सूक्ष्मता व स्थूलताकी अपेक्षा। २. औदारिक शरीर विशेषकी अवगाहनाकी अपेक्षा। * पंच शरीरोंके पुदगलस्कन्धोंकी संघातन परिशातन आदि
कृतियों में गृहीत परमाणुओंके प्रमाणकी अपेक्षा ।-दे. (ध//
४.१,७१/३४६-३५४)। * ज उ अवगाहना क्षेत्रोकी अपेक्षा ।-दे (ध.१९/पृ.२८)।
३ पंचेन्द्रियोंकी अवगाहनाको अपेक्षा। ६. पाँचो शरीरोके स्वामियोकी ओघ व आदेश प्ररूपणा ७ जीवभावोंके अनुभाग व स्थिति विषयक प्ररूपणा १ संयम विशुद्धि या लन्धि स्थानोंकी अपेक्षा। २ १४ जोव समासों में संक्लेश व विशुद्धि स्थानोंकी अपेक्षा । ३. दर्शन ज्ञान चारित्र विषयक भाव सामान्यके अवस्थानों की
अपेक्षा स्व व परस्थान प्ररूपणा। ४. उपशमन व क्षपण कालकी अपेक्षा। ५. कषाय काल की अपेक्षा। ६. नोकषाय बन्धकालकी अपेक्षा । ७ मिथ्यात्वकाल विशेषकी अपेक्षा। (अर्थात् भिन्न-भिन्न जीवोंके
मिथ्यात्वकालका अल्पबहुत्व)। * अध प्रवृत्ति करणकी विशुद्धियोंमें तरतमताकी अपेक्षा ।
-दे. (ध.६/११-८,१६/१७५-३७८)। * संयमासंयम लब्धिस्थानो में तरतमताको अपेक्षा।-दे.ध.५/
१,६-८,१४/२७६/७)। ८. जीवोके योग स्थानोकी अपेक्षा अल्पबहत्व प्ररूपणाएं १. योग सामान्यके यवमध्य कालकी अपेक्षा । २ योगस्थानों के स्वामित्व सामान्यकी अपेक्षा। ३ योग स्थान सामान्य में परस्पर अल्पबहत्व। ४. जीव समासों में जघन्योत्कृष्ट योगस्थानोंको अपेक्षा १. प्रत्येक योगके अविभाग प्रतिच्छेदोकी अपेक्षा । ९. कर्मोके सत्त्व व बन्धस्थानोकी अल्पबहुत्व प्ररूपणाएँ १. जीवोंके स्थिति बन्धस्थानोकी अपेक्षा। २. स्थिति बन्धमें जघन्य व उत्कृष्ट स्थानों की अपेक्षा। ३. स्थितिबन्धके निषेकोंकी अपेक्षा।
अनिवृत्ति गुणस्थानमें स्थितिबन्धको अपेक्षा ।-दे (ध. १६-८,१४/२६७/४)। उपशान्तकषायसे उतरे अनिवृत्तिकरण में स्थितिबन्धकी अपेक्षा ।-दे. (ध.६/१,६,८,१४/३२४/३) । चारित्रमोह क्षपक अनिवृत्तिकरणके स्थितिबन्धकी अपेक्षा । -दे. (ध ६/१,६-८,१४/३५०/२) (विशेष दे. आगे अल्पबहुत्व/२/११।
मोहनीय कर्म के स्थितिसस्वस्थानोंकी अपेक्षा। १. बन्धसमुत्पत्तिक अनुभाग सत्त्वके जघन्य स्थानोंकी अपेक्षा । ६ हत्समुत्पत्तिक अनुभागसत्त्वके जघन्य स्थानोकी अपेक्षा।
अष्टकर्मप्रकृतियों के उत्कृष्ट अनुभागकी६४ स्थानीय स्वस्थान ओघ व आदेश प्ररूपण। अष्टकर्म प्रकृतियों के जघन्य अनुभागकी६४स्थानीय स्वस्थान ओघ ब आदेश प्ररूपणा। अष्टकर्म प्रकृतियोंके उत्कृष्ट अनुभागकी६४स्थानीय परस्थान ओघ प्ररूपणा। उपरोक्त विषयक आदेश प्ररूपणाएँ।--वे. (म../१४३६ ४४२/२३१-२३३)। अष्टकर्म प्रकृतियोंके जघन्य अनुभागकी ६४ स्थानीय परस्थान ओध प्ररूपणा।
जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश
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