Book Title: Jainendra Siddhanta kosha Part 1
Author(s): Jinendra Varni
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 339
________________ इतिहास ३२४ ७. पट्टावलिये तथा गुर्वावलिये सं० व नाम । वि० । बर्ष। सं० व नाम । वि० । वर्ष ६ सहस्रकीति | १५ ज्ञानभूषण । श०१८, ७ नेमिचन्द्र १६ चन्द्रकीति ८ यश कीति १७ पद्मनन्दी ६ भुवनकीर्ति १८ सकलभूषण १० श्रीभूषण १६ सहस्रकी ति ११धर्मचन्द्र २० अनन्तकीर्ति १२ देवेन्द्रकीर्ति २१ हर्षकीति १३ अमरेन्द्र कीर्ति २२ विद्याभूषण १४ रत्नको ति २३ हेमकीर्ति * हेमकोति भट्टारक माघ शु०२ स०१९१० को पट्टपर बैठे। ४ नन्दिसंघ बलात्कारगणकी शुभचन्द्र आम्नाय (गुजरात वीरनगरके भट्टारकोंकी दो प्रसिद्ध गद्दिये) प्रमाण जै १/४५६-४५६, गै २/३७७ ३७८, ती ३/३६६ । देखो पीछे - ग्वालियर गद्दीके वसन्तकीति (वि १२६४) तत्पश्चात अजमेर गद्दी के प्रख्यातकीति (वि १२६६), शुभकीति (वि १२६८), धर्मचन्द्र (वि, १२७१), रत्नकोति (वि १२६६), प्रभाचन्द्र न.७ वि. १३१०-१३८५) ५ नन्दिसंध देशीयगण (तीन प्रसिद्ध शाखाये) प्रमाण -- १. ती. ४/३/६३ पर उद्धृत नयकोति पट्टावली। (ध २/प्र.२/H. L. Jain); (त वृ/ ६७)। २. ध २/प्र ११/HLJain/शिलालेख नं०६४ में उधृत गुणनन्दि परम्परा। ३. ती. ४/३७३ पर उधृत मेघचन्द्र प्रशस्ति तथा ती ४/३८७ पर उद्धृत देवकीर्ति प्रशस्ति । पद्मनन्दि (कुन्दकुन्द) (ई. १२७-१९४) गुद्रपिच्छ उमास्वामी (ई. १७६-२४३) बलाकपिच्छ (ई २२०-२३१) १९१० गुण नन्दि (ई ८४३-८७३) देवेन्द्र सैद्धान्तिक (ई ८५८-८६८) - कलधौतनन्दि (कनकनन्दि) (ई ८६०-८८०) सकलकोति शुभचन्द्र बि १४५०-१५० गुणनन्दि शाखा (प्रमाण नं.२) गोलाचार्य शाखा नयकीर्ति शाखा (प्रमाण नं ३) (प्रमाण न. १) वि १४५०-१७६१ ईडर गद्दी दिल्ली गद्दी सूरतगद्दी देवेन्द्रकीति (कर्म विपाककेकर्ता) (वि १४५०-१५०७) (वि. १४१३ में मूर्ति स्थापन) (वि १४६३-१४६६) । (वि १४५०-१४६६) | जिनचन्द्र भुवनकीर्ति (वि १५०७ १५७१ । (वि १४६६-१५२५) विद्यानन्द त्रिभुवनकीर्ति जै २/३७७/ (वि १४६६-१५३८) ज्ञानभूषण नं०१ (सागवाड गहीके भट्टारक) मल्लिभूषण श्रुतसागर श्रुतकीति वि. १५२५-१५५५) (वि १५३८-१५५६) (वि.श.१६ मध्य) वसुनन्दि महेन्द्रकीर्ति रविचन्द्र ( वि०, ई.८६३) (ई ८७०-८८५) (सम्पूर्ण चन्द्र) सर्वचन्द्र वीरनन्दि दामनन्दि (वि ६७२, ई. १२८) (ई. ८८५-१००) विजयकीर्ति । जै. २/३७८ । श्रीचन्द (वि १५५६-१५७५) (वि. १५५५-१५७०) सिंहनन्दि लक्ष्मीचन्द (वि. १५५६-१५७५) भरतचन्द्र बनेमिदत्त वीरचन्द्र (वि.१५६५-१५७३) (वि. १५५६-१५८५) शुभचन्द्र (शिक्षागुरु वीरचन्द) वि. १५७३-१६१३) ज्ञानभूषण (वि १५८५-१६१६ दामनन्दि १००० ६४३ गालाचार्य श्रीधरदेव नं १ वीरनन्दि १०२५ १६८ (ई १००-१२०) मल्लधारी देव नं १ श्रीधर १०५० १६३ । (ई. श. १२०) मल्लधारी- त्रैकाल्पयोगी श्रीधर देव नं २ देवन.१११०७५ १०१८ (ई. १२०-६३०) माघनन्दि । चन्द्रकीति ११०० १०४३ । गुणचन्द्र २ दिवाकर अभयनन्दि मेषचन्द्र नन्दि ११२५ १०६८ (वि.श.११३ चरण) चन्द्रकीति शुभचन्द्र (ई०६३०-६५०) उदयचन्द्र नं.२ ११५० १०६३ (पण्डितदेव) सिद्धान्तिक- आगे दे. अगला पृ देव ११७२ १९९५ टिप्पणी - .माधनन्दि के सधर्मा=आबिदकरण पद्यनन्दि कौमारदेव, प्रभाचन्द्र, तथा नेमिचन्द्र सिद्धान्त चक्रवर्ती । श्ल ३५-३६॥ तदनुसार इनका समय ई. श१०-११ (दे अगला पृ)। २. गुणचन्द्र के शिष्य माणिक्यनन्दि और नयकी ति योगिन्द्रदेव है। नयको तिकी समाधि शक १०६६ (ई १९७७) में हुई । तदनुसार इनका समय लगभग ई ११५५ । ३, मे चन्द्र के सधर्मा-मल्लधारीदेस,श्रीधर,दामनन्दि विद्य,भानुकीर्ति और बालचन्द्र (श्ल २४-३४) । तदनुसार इनका समय वि, श,११ । (ई. १०१८-१०४८)। सकलभूषण सुमतिकीर्ति (वि. १६१३-१६३०) प्रभाचन्द्र (वि. १६१६-१६३७) वादिचन्द्र (वि १६३७.१६६४) गुणकीर्ति (वि १६३०-१६५०) ___ वादिभूषण (वि. १६५०-१६७५) महीचन्द्र (वि.१६६४-१७२२) मेरुचन्द्र (वि १७२२-१७३२) जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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