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इतिहास
१० यादववंश
से
धृतराज व रुक्कमण
६ चन्द्रवंश भीष्म
प पु.१/१२ सोम नाम चन्द्रमाका है सो सोमवशको ही चन्द्रवंश धृतराष्ट्र(अम्बिकासे) पाण्ड्ड (अम्बालिकासे) विदुर(अम्बासे)
कहते है। (ह. पु १३/१६) विशेष दे--'सोमवंश' दुर्योधनादि सौ पुत्र ।
७ नाथवंश गन्धारीसे कुन्तीसे
माद्रीसे
पा. पु. २/१६३-१६५" इसका केवल नाम निर्देश मात्र ही उपलब्ध है।
दे.--'सामान्य राज्य व श' कुवारी कुन्तोसे युधिष्ठिर भीम अर्जुन नकुल सहदेव कर्ण
भोजवंश द्वितीय वंशावली- अभिमन्यु
ह पु. २२/५१-५३ जब आदिनाथ भगवान् भरतेश्वरको राज्य देकर (पा. पु/सर्ग/श्नोक) जयकुमार-अनन्तवीर्य, कुरु, कुरुचन्द, शुभङ्कर. दीक्षित हुए थे. तब उनके साथ उग्रवंशीय, भोजवंशीय आदि चार
धृतिर...धृतिदेव, गङ्गदेव, धृतिदेव, धृत्रिमित्र, धृतिक्षेम, अधयी, हजार राजा भी तपमें स्थित हुए थे। परन्तु पीछे तप भ्रष्ट हो गये। सवत, बातमन्दर, श्रीचन्द्र, कुराचन्द्र, सुप्रतिष्ठ... भ्रमधोष, हरिघोष, उसमें से नमी व विनमि दो भाई भी थे। हरिध्वज, रविघोष, महावीर्य, पृथ्वीनाथ, पृथु गजवाहन, विजय, ह पु५५/७२,१११"कृष्णने नेमिनाथके लिए जिस कुमारी राजीमतीसनरकुमार (चक्रवर्ती), सुकुमार, वरकुमार, विश्व, वैश्वानर, विश्व- की याचनाकी थी वह भोजब शियों की थी । नोट-इस वशका ध्वज, बृहत्केतु विश्वसेन, शान्तिनाथ (तीर्थक्र), (पा पु४/२-६)। विस्तार उपलब्ध नहीं है। शान्तिवर्धन, शान्ति चन्द्र, चन्द्रचिह्न. कुरु • सूरसेन, कुन्थुनाथ भगवान, (६/२-३,२७) • अनेकों राजा हो चुकनेपर सुदर्शन (७७),
९ मातङ्गवंश अरहनाथ, भगवान अरविन्द, सुचार, शर, पद्यरथ, मेघरथ, विष्णू व ह. पु २२/११०-११३ "राजा विनमिके पुत्रों में जो मातङ्ग नामका पुत्र पद्मरथ (७/३६-३७) (इन्हीं विष्णुकुमारने अकम्पनाचार्य आदि ७०० था, उसीसे मातङ्गबशकी उत्पत्ति हुई। सर्व प्रथम राजा बिनमिमुमियोंका उपसर्ग र किया था) पद्मनाभ, महापद्म, सुपा, कीर्ति, का पुत्र माता हुआ । उसके बहुत पुत्र-पौत्र थे, जो अपनी-अपनी सुकीर्ति वसुकीर्ति, वासुकि,... 'अनेकों राजाओंके पश्चात शान्तनु क्रियाओके अनुसार स्वर्ग ब मोक्षका प्राप्त हुए । इसके बहुत दिन (शक्ति) राजा.हुआ। तत्पश्चात् पराशर (७/७४-७६)
पश्चात इसी वशमें एक प्रहसित राजा हा, उसका पुत्र सिंहष्ट था।
नोट-इस वंशका अधिक विस्तार उपलब्ध नहीं है। गांगेय (भीष्म) व्यास (७/१५)
१. मातग विद्याधारोंके चिन्ह-~७/८०
हपु २६/१५-२२ मातङ्ग जाति विद्याधरोंके भी सात उत्तर भेद है, धृतराष्ट्र(१९९३) पाण्ड(७/११५) विदुर(७/११५) जिनके चिन्ह व नाम निम्न है-म तङ्ग-नीले वस्त्र व नीली मालाओं दुर्योधन आदि सौ पुत्र ८४१८३-२०४) ।
सहित । श्मशान निलय-धूलि धूसरति तथा श्मशानको हायोस
निर्मित अभूषणोसे युक्त । पाण्डुक - नील बटूर्य मणिक सदृश नीले कुन्ती कन्यासे कण युधिष्ठिर भम अर्जुन नकुल सहदेव
वस्त्रों से युक्त । कालश्वपाको -- काले मृग चम व चमडे से निर्मित (७/२६३) (८/१३०) (८/१६७) (/१७०) (८1१७४) (८/१७५) वस्त्र व मालाओं युक्त। पार्वतये-हरे र गके वस्त्रोसे तथा नाना
प्रकारकी माला व मुकुटोसे युक्त। वशान य-बॉसके पत्रोकी मालाओघुटुक (१४/५१-६४) अभिमन्यु (१६/११७)
से युक्त। वासमूलि* = सर्प चिन्हके आभूषणसे युक्त । और भी देखो (म. पु.७०/७०-१०१ मे भी) १० यादव वंश ह. पु १८/५-६ हरिवंशमें उत्पन्न यदु राजासे यादववशको उत्पत्ति हुई । देखो 'हरिवंश'।
यदु. (१८/५-६) रि. पु/सर्ग/श्लोक
नरपति (१८/७)
मशर (शौर्य पुर)
वार
____१८/१०
अन्धकवृष्णि
भोजक वृष्णि
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शान्तनु --------- ------------- स्वस्थ
विषद
महासेन
शिवि
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अनन्तमित्र विषमित्र
सुषेग
सत्यक
हृदिक
वज्रधः
असग
कृतिधर्मा
दृढधा
१८/१६
४८/३६
र सागर
कमश.
कंस ३३/२३ देवकी ३३/२६ धर
गुणधर
युक्तिक
दूधर
सागर
जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश
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