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उदय
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६. कर्म प्रकृतियोंकी उदय व उदयस्थान प्ररूपणाएं
-
-
प्रति प्रति
विवरण स्थान | स्थान | गुण | सम्यक्त्व प्रकृति भंग | स्थान विशेष २ । १२ । । सवेदभाग
| प्रकृति
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६-२
क्षा, व उप सम्यक्त्वी
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,
६-७ वदक सम्य
क्षा उप सम्य
गुण | कुल प्रति प्रति
भगोंका विशेषता यात उदय स्थान स्थान प्रकृतियों का विवरण "स्थान प्रकृति भग
विवरण उपरोक्त ४x अन्यतम वेद
१/४८ | उपरोक्त ८+भय जुगुप्सामें-से दे भंग निकालने अन्यतम १
६ के उपाय ४४३०१२
१०.२४ उपरोक्त ८+भय और जुगुप्सा, . २४ देखो ऊपर नं.१].
दोनों में उपाय
२४. अनन्ता,आदि चतुष्क, अन्य२४ । दे ओघ प्ररूपणा
तम वेद १, अन्यतम युगल२०७ उपरोक्त+भय या जुगुप्सा-८
...+भय और जुगुप्सा -६ मिश्र.१, अप्रत्या. आदि ३, अन्य. तम वेद १,अन्यतम युगल २-७ उपरोक्त ७+भय याजुगुप्सा-८
, ,, और , -१ सम्य १, अप्रत्या. आदि ३, अन्य तम वेद १, अन्यतम युगल२-७
| उपरोक्त+भय या जुगुप्सा६/२४ , +, और , -६ ३६२४ अप्रत्या आदि ३ अन्यतम वेद
१, अन्यतम युगल २-६
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| वेदक
क्षा.उप.सम्य | वेदक क्षा उप.सम्य
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वेदक क्षा.उप.सम्य वेदक क्षा. उप. वेदक
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२१६
७४८ | उपरोक्त+भय या जुगुप्सा-७ ८) २४
प्रत्या. आदि २, अन्यतम वेद १
अन्यतम युगल २, सम्य.१६ ४८/ उपरोक्त+भय या जुगुप्सा-७
+, और ,, ०८ ५२४ प्रत्या.आदि २, अन्यतम वेद १
अन्यतम युगल २-५
वेदक क्षा. उप. वेदक
वेदक
१०
२४ ।
। १२८ ३. मोहनीयके उदयस्थानोकी ओघ प्ररूपणा
(पं.सं./प्रा. ५/३०३-३१८); (ध. १५/८२) (गो. क. ६५५-६२६/८४६-८४८), (पं.स./सं १३३०-३४६) संकेत : (देखो भग निकालने के उपाय)
६४ उपरोक्त५+भय या जुगुप्सा-६ | २४ " ., और ७ २४ सम्य. १, संज्वलन १, अन्यतम
वेद १, अन्यतम युगल २-५ ४८ उपरोक्त+भय या जुगुप्सा
. .+, और , -७ ३ ४२४ सज्वलन १, अन्यतम वेद १, ।
अन्यतम युगल २-४
उप.
उपरोक्त+भय या जुगुप्सा-५
| .. ., और , -६ | २४/ उपरोक्त वत्
गुण कुल प्रति प्रति
भंगोंका शान उदय स्थान स्थान प्रकृतियोका विवरण
विवरण का स्थान प्रकृति भग ७२४ | मिथ्यात्व, अप्रत्या, आदि तीन, | देखो, भंग
हास्य-रति या अरति शोकमें- निकालनेके से १, युगल २, अन्यतम वेद१ उपाय
संज्वलन १, अन्यतम वेद १-२ सज्वलन १
अन्यतम कषाय
|२४| उपरोक्त ७+अनन्ता. चतुष्कमें
अन्यतम १
१' संज्वलन लोभ
जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश
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