Book Title: Jainendra Siddhanta kosha Part 1
Author(s): Jinendra Varni
Publisher: Bharatiya Gyanpith

View full book text
Previous | Next

Page 488
________________ ओद्देशिक औस्तुभास औद्देशिक-आहारका एक दोष-दे आहार II/४, (विशेष दे. उद्दिष्ट) औद्र-भरतक्षेत्र आर्यखण्डका एक देश-दे मनुष्य ४ । औपदेशिक-औपदेशिक आहार-दे. उद्दिष्ट । -जो उपपाद जन्म से पैदा हो देव व नारको। -दे. ब. जै. शब्दा.द्वि. खंड। औपपादिक जन्म दे जन्म २ । औपमन्यु-एक विनयवादी -दे, वैनयिक । औपशमिक भाव-दे उपशम ६। औषधि- ला.सं. २/१६ शंढ्यादि भेषजं - सौठ मिर्च पीपल । आदि औषधियाँ कहलातो हैं। २. पूर्व विदेहस्थ पुष्कल क्षेत्रकी मुख्य नगरी-दे. लोक ७॥ औषधी-विदेहोंके बत्तीस देशोंमें बत्तीस राज्यधानी , उनमें है सातवी राज्यधानी (त्रि गा. ७१२) औषधि ऋद्धि-दे. ऋद्धि । औषधि कल्प-आ. इन्द्रनन्दि (ई. श १०-११) द्वारा रचित एक वैद्यक शास्त्र। औषधि दान-दे. दान। अपर विदेहस्थ विभगा नदी-दे. लोक / सिलवण समुद्रके बडवामुख आदि दिशा सम्बन्धी पातालोंके दोनों तरफ एक-एक पर्वत है। पूर्वदिशाके पातालकी पश्चिम दिशामें पर्वतका नाम (त्रि. गा. ६०५-१०६) यहाँपर जो व्यतर रहता है उसका भी नाम औस्तुभास है। -दे, बृ. जै, शब्द. दि. खंड । इति प्रथमः खण्डः Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 486 487 488 489 490 491 492 493 494 495 496 497 498 499 500 501 502 503 504 505 506