Book Title: Jainendra Siddhanta kosha Part 1
Author(s): Jinendra Varni
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 419
________________ उदय .४ ८. बन्य उदय सत्वकी विभिन्न त्रिसंयोगी स्थान प्ररूपणा - स्थान ww १३ ४. नामकर्म स्थानोंको त्रिसंयोगी सामान्य प्ररूपणा ३ सत्व आधार-बन्ध उदय आधेयकी स्थान प्ररूपणासकेत-'आधार' अर्थात अमुक बन्ध स्थान या उदय स्थान या सत्व (गो क ७५३-७५६/१२५-६३१) स्थान विशेषके साथ 'आधेय' अर्थात अमुक-अमुक उदय, सत्त्व या बन्ध स्थान होने सम्भव है। उन-उन स्थानोंका विशेष ब्योरा उन ____ सत्व आधार बन्ध आधेय उदय आधेय उन विषयों के अन्तर्गत दी गयी सारणियों में देखिए। कुल बन्ध स्थान-८(१,२३,२५ २६,२८,२६,३०,३१) स्थान विशेष स्थान विशेष कुल उदय स्थान-१२(२०,२१,२४,२५,२६,२७,२८,२६,३०,३१६,८) कुल सत्त्व स्थान-१३(६,१०,७७,७८,७६,८०,८२,८४,८८,६०,६१,६२.६३) १. बन्ध आधार-उदय सत्त्व आधेयकी स्थान प्ररूपणा ११ (यश कीर्ति) २५,२६,२८,२६,३०,८ (पं. सं /प्रा./२२२-२२४,२२५-२५२), (गो. क. ७४२-७४५/८६७), ६/२१,२७,२६,३०,३१.६ (प सं/सं.५/२३६-२३६, २७०,२४०-२७०) ६.२५,२६,२८,२६,३०,८ | बन्ध आधार उदय आधेय सत्व आधेय ६ २१२७,२६,३०,३१.६ १ | २३,२५,२६, ४ २१,२४,२५,२६ स्थान विशेष स्थान विशेष स्थान विशेष २६,३० १२१,२४,२५,२६.२७, ३/ २३,२५,२६ ६) २१,२४,२५,२६,२७,५ ८२,८४,८८,६०,६२ | २८.२६,३०,३१ २८,२६,३०,३१ ६ २३,२५,२६, २८ १९ २८ ८ २१,२५.२६.२७,२८,४८८,१०,६१,६२ २८,२६,३० २६,३०,३१ ७/२३,२५,२६, ३ २ २६,३० २१,२४,२५,२६,२७, ' ७/८२,८४,८८१०,६१, २८,२६,३०,१ २८,२६,३०,३१ । १२.६३ २८,२६.३०.१ ७/ २१,२५,२६,२७,२८, १ ३१ २६.३० ३० ८ ७७,७८,७६,८०,१०,१२/१ ७,२३,२५,२६, | ६ | २१,२४,२५,२६.२७, ६१,६२,६३ २८,२६,३०.१ २८,२६३०,३१ | १०२० २१,२६,२७,२८, १०७७,७८,७६,८०,१०,१३१ ४ | २६,३०,३१,१ । ७/ २१,२५,२६,२७,२८, | २६,३० ३१,८, ६ ६ १६२,६३,६,१० २६.३० २. उदय आधार-बन्ध सत्त्व आधेयकी स्थान प्ररुपणा ४. बन्ध उदय दोनो आधार-सत्व आधेयकी स्थान प्ररूपणा (गो,क,७४६ ७५२/१०६-६२४) (प. सं./प्रा ५/२२५-२५१), (गो क ७६०७६८/६३६-६४०), (सं.सं./ उदय बन्ध आधेय सरव स्थान प्रा. ५/२४०-२६६) आधार स्थान विशेष बन्ध-आधार उदय-आधार .. सत्त्व-आधेय स्थान विशेष १, १९२० |३|७७,७९,७६ स्थान विशेष स्थान विशेष स्थान विशेष | १.२१ ६२३,२५.२६ २८.२६,६७८,८०,८२,८४,८८, ३० ८२,८४,८८,६०,६२ ६०,६१,६२,६२ ४। २१,२४,२५,२६ २३.२५,२६,२६,३०५/८२,८४,८८,१०,६२ ५ २७,२८,२६, ४ ४,८८,६०,६२ २५६ २३,२१,२६,२८,२६, ७/८२,८४,८८,१०,६१, ३०,३१ ६२.६३ ३ २] २५,३६ ४२१,२४,२५,२६५ ८२,८४,८८,१०,६२, ७७,७६,८२,८४,८८, ४२ २५,२६ २७,२८,२६, | ४ ८४,८८,६०,६२ १०.६१,६२,६३ ३०,३१ ७८,८०,८४,८८,६०, २/२१,२६ १०.१२ (देव उत्तर कुरु । ६१,६२,६३ का क्षा सम्यग्दृष्टि) ७७,७६,८४,८८,६०, २८ ।५ २५,२६,२७, २ ०,६२ (२५.२७ उदय ६१,६२,६३ २८,२६ ६० सत्त्व वैक्रि. को अपेक्षा है) १० ७७,७८,७६,८०,९४, १, २८२ / २५,२७ ११२ (आहारक शरीर ८८,६०,६१,६२,६३ उदय सहित प्रमत्त २३,२५,२६,२८,२६. १० विरत) ३०३१.१ ४८८,६०,६१,६२ ६. २३,२५,२६,२८,२६, ६/७७,८०,८४,८८,६०, ३८८,६०,६२ ८२,८४,८८,६०,६१, ३, ७८,८०,१० ६२०६३ १२१' | ३| ७७,७६६ 8 विशेष न्य स्थान स्थान स्थान १० ३० जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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