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उदीरणा
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२. उदीरणा व उदीरणा स्थान प्ररूपणाएं
४ एक व नानाजीवापेक्षा मूलप्रकृति उदीरणाको ओघ आदेश प्ररूपणा १ ओध प्ररूपणा ( सं./प्रा. ४/२२२-२२६): (स/सं ४/८६-११), (शतक २६-३२), (ध, १५/४४) गुण । एक जीवापेक्षया काल । एक जीव पेक्षया अन्तर ।
नाना जीवापेक्षया अल्प बहुत्व नाम प्रकृति
जघन्य उत्कृष्टजधन्य । उत्कुष्ट । अल्प बहुत्व । विशेषका प्रमाण
१ या २समय १ आवली कम | १ आवली अन्तर्मुहर्त | सर्वत स्तोक
३३ सागर
अर्ध.पु परिव.] १ समय
| विशेषाधिक
आयु(केवल आवली काल १
अवशेष रहते) स्व स्थितिके अन्त तक | २-६ वेदनीय मोहनीय ज्ञानावरणी दर्शनावरणी १-१२ अन्तराय
१--१२ नाम गोत्र
१-१०
अन्तिम आवली में संचित अनन्त ७-१० गुण स्थान वाले जीव १-१२ " उपरोक्तवत
१-१२
अनादि सान्त अनादि अनन्त निरन्तर
उपरोक्तवत
१-१३
विशेषाधिक । उपरोक्तवत्
सयोगो केवली प्रमाण उपरोक्तवत
२. आदेश प्ररूपणा (दे. ध. १५/४७)
५. मूल प्रकृति उदीरणा स्थान ओध प्ररूपणा
(पं. स./प्रा ३/६); (पं.सं प्रा.४/२२२-२२६), (वंस स. ३/१४) (प. स /सं.४/८६-११); (शतक २६-३२), (ध. १५/४८-५०) सकेत -आ =आवली
एक जीवापेक्षया काल
एक जीवापेक्षया अन्तर
स्थानका विवरणगुण स्थान
गुण स्थानके अन्त तक या कुछ काल शेष रहते
जघन्य
उत्कृष्ट
जघन्य
उत्कृष्ट
अतर्मुहूर्त
३३ सागर
१ आवली
अर्ध.पु. परि.
| आठो कर्म |१-६ अन्त तक
| १,२ समय३३ सागर-१आ । १ आवली | आयु बिना ७ कर्म (१,२,४,५,६ अन्तर्मुहूर्त शेष रहनेपर
१आवली क्षुद्र भव
१आवली
यह गुण स्थान नहीं होता आयु व वेदनी बिना ६७-१० । अन्त तक
१,२ समय अन्तर्मुहूर्त अन्तर्मुहुर्त | आयु वेदनी व मोहके । १० आ शेष रहनेपर बिना-कर्म ।
११-१२ अन्त तक नाम ब गोत्र-२ कर्म आ. शेष रहनेपर अन्तर्मुहूर्त कुछ कम निरन्तर
१ पूर्व कोडि अन्त तक
५
निरन्तर
-
नाना जीवापेक्षा अन्तर
अल्प बहुत्व
जघन्य १ समय
। उत्कृष्ट । ६ मास
सर्वत.स्तोक
गुण स्थानके नाना जीवापेक्षया काल स्थानका विवरण | गुण स्थान अन्त तक या कुछ
काल शेष रहते जघन्य उत्कृष्ट १ | आयु, मोह, वेदनीयके । ११-१२
१समय । अन्तर्मुहूर्त बिना ५ कर्म | नाम गोत्र २ कर्म
सर्वदा सर्वदा ३ | आयु वेदनी बिनाकर्म | ७
आयु बिना ७ कर्म . सर्व ही८ कर्म ...
। निरन्तर
निरन्तर
सं, गुणे
अनन्त गुणे स. गुणे.
जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश
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